भारत अपनी जी20 की अध्यक्षता के जरिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सहभागिता के माध्यम से एक त्वरित, जिम्मेदार और उचित ऊर्जा रूपांतरण के लिए प्रतिबद्ध है: एमएनआरई सचिव, श्री भूपिंदर सिंह भल्ला
भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत तीसरे ऊर्जा रूपांतरण कार्य समूह (ईटीडब्ल्यूजी) की बैठक के एक हिस्से के तहत नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (इरेडा) व अंतरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (इरेना) के साथ आज मुंबई में आधिकारिक संक्षिप्त कार्यक्रम ‘नई और उभरती ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए निम्न लागत वित्त’ की मेजबानी की। इस कार्यक्रम में उभरती महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के भविष्य में विकास के आधार पर ऊर्जा रूपांतरण को लेकर लागत प्रभावी वित्त पोषण के अनुमान के लिए विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से नीति निर्माता, वित्तीय संस्थान और प्रौद्योगिकी डेवलपर्स शामिल हुए। इन प्रौद्योगिकियों में हरित हाइड्रोजन, अपतटीय पवन ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण और कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन व स्टोरेज (सीसीयूएस) शामिल हैं। भारत की अध्यक्षता के तहत ऊर्जा रूपांतरण कार्य समूह (ईटीडब्ल्यूजी) द्वारा स्थापित छह प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक के रूप में निम्न लागत वित्तपोषण की पहचान की गई है।
जी20 ईटीडब्ल्यूजी के इस संक्षिप्त कार्यक्रम में भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत एमएनआरई के सहयोग से इरेना की “ऊर्जा रूपांतरण के लिए निम्न लागत वित्त” रिपोर्ट का विमोचन किया गया। यह रिपोर्ट जी20 और अन्य देशों में कम लागत वाली पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक व्यापक टूलबॉक्स प्रदान करती है।
इसके अलावा विद्युत मंत्रालय द्वारा भारतीय प्रबंधन संस्थान- अहमदाबाद और एनटीपीसी नेत्रा के सहयोग से तैयार की गई दो रिपोर्टों- “नए युग की मह्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के लिए वित्तीय आवश्यकताएं: कार्बनडाईऑक्साइड कैप्चर यूटिलाइजेशन व स्टोरेज (सीसीयूएस)” और “नए युग की महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के लिए वित्तीय जरूरत: बैटरी ऊर्जा भंडराण (बीईएस)” का भी विमोचन इस संक्षिप्त कार्यक्रम में किया गया।
इरेडा के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक श्री प्रदीप कुमार दास ने ईटीडब्ल्यूजी के संक्षिप्त कार्यक्रम में विशिष्ट प्रतिनिधियों और अतिथियों का स्वागत किया। भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक श्री सुनील नायर और महाराष्ट्र सरकार की प्रमुख ऊर्जा सचिव श्रीमती आभा शुक्ला ने अपना विशेष अभिभाषण दिया।
भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के सचिव श्री भूपिंदर सिंह भल्ला ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा, “ऊर्जा रूपांतरण एक तकनीकी और आर्थिक रूप से व्यावहारिक विकल्प है और इसके लाभ इसकी लागतों से काफी अधिक है। भारत अपनी जी20 की अध्यक्षता के जरिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सहभागिता के माध्यम से एक त्वरित, जिम्मेदार और उचित ऊर्जा रूपांतरण के लिए प्रतिबद्ध है।”
विद्युत मंत्रालय के सचिव श्री आलोक कुमार ने अपने मुख्य भाषण में कहा, “भारत जी20 और अन्य देशों के साथ ऊर्जा रूपांतरण द्वारा हमारे सामने प्रस्तुत विशाल अवसरों का दोहन करने की दिशा में काम करने के लिए तैयार है।”
वहीं, इरेना की उप महानिदेशक श्रीमती गौरी सिंह ने कहा, “वैश्विक स्तर पर ऊर्जा रूपांतरण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन की त्वरित विस्तार की जरूरत है, जिसमें निम्न- लागत वित्त तक पहुंच बनाना महत्वपूर्ण है।”
इरेना के आईआईटीसी निदेशख डॉ. रोलैंड रॉस ने दृश्य सेटिंग प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा, “सौर और पवन ऊर्जा परिनियोजन, प्रौद्योगिकी नवाचार और आपूर्ति श्रृंखला विकास को बढ़ावा देने के लिए समन्वित नीतियों के महत्व व महत्वपूर्ण ऊर्जा रूपांतरण प्रौद्योगिकियों जैसे कि- हरित हाइड्रोजन, अपतटीय ऊर्जा व ऊर्जा भंडारण को संचालित करने में कम लागत वाले वित्त के महत्व को लेकर एक केस स्टडी प्रस्तुत करते हैं।”
इरेना की उप महानिदेशक श्रीमती गौरी सिंह और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के सामरिक पहल कार्यालय के प्रमुख श्री डैन डोर्नर ने क्रमशः दो पैनल चर्चाओं का संचालन किया। इन पैनल चर्चाओं में आईआईटी बॉम्बे, इक्विनोर, जेएसडब्ल्यू समूह, रिलायंस न्यू एनर्जी, एक्जिम बैंक, एशियाई विकास बैंक, एनआईआईएफ, पावर फाइनेंस कारपोरेशन (पीएफसी) के प्रतिनिधियों और डेनमार्क के जलवायु दूत ने हिस्सा लिया।
“नई और उभरती ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के दृष्टिकोण” पर आयोजित पहली पैनल चर्चा उभरती प्रौद्योगिकियों के भविष्य में विकास, परिनियोजन की दर व पैमाना और रूपांतरण की समावेशिता के आधार पर ऊर्जा रूपांतरण के लिए निम्न लागत वित्त के अनुमान पर केंद्रित थी। वहीं, दूसरी पैनल चर्चा की विषयवस्तु “निवेश जुटाने में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (आईएफआई) और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमबीडी) की भूमिका” थी। इसमें पूंजी की लागत को कम करने और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए उचित इकोसिस्टम स्थापित करने में एक प्रोत्साहक के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा निभाई गई भूमिका और इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने वाली अभिनव वित्तपोषण योजनाओं को रेखांकित किया गया।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री दिनेश डी जगदाले ने समापन भाषण दिया। उन्होंने स्थायी और सुदृढ़ ऊर्जा रूपांतरण के वित्तपोषण की दिशा में आगे बढ़ने के तरीके पर आकर्षक चर्चा करने के लिए सम्मानित अतिथियों और पैनलिस्टों को धन्यवाद दिया।