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वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश में मजबूत आर्थिक वृद्धि दर बरकरार

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश में मजबूत आर्थिक वृद्धि दर बरकरार
  • PublishedMarch 21, 2025

वैश्विक तनाव और व्यापार अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मार्च 2025 रिपोर्ट के अनुसार, देश की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है, हालांकि व्यापार घाटा और विदेशी निवेशकों की निकासी जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की GDP 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है। तीसरी तिमाही में GDP वृद्धि दर 6.2% रही, जो दूसरी तिमाही के 5.6% से अधिक है। यह सुधार मुख्य रूप से निजी खपत और सरकारी खर्च में वृद्धि के कारण हुआ। गौरतलब है कि निर्माण, व्यापार और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्र आर्थिक विकास को आगे बढ़ा रहे हैं।

घरेलू निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी से बाजार को मिली स्थिरता

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की लगातार निकासी से शेयर बाजार और रुपये पर दबाव बना हुआ है। वहीं रुपये का मूल्य घटने का खतरा भी बना हुआ है, हालांकि घरेलू निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी से बाजार को स्थिरता मिली है। महंगाई में भी गिरावट देखी गई है। फरवरी 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई 7 महीने के निचले स्तर 3.6% पर आ गई, जो सब्जियों की कीमतों में आई गिरावट मुख्य वजह रही। हालांकि, खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुख्य महंगाई दर (Core Inflation) 4.1% रही।

वहीं देश के निर्यात और आयात में भी उतार-चढ़ाव बना हुआ है। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच निर्यात मामूली रूप से 0.1% बढ़कर 395.6 अरब डॉलर हो गया। हालांकि, फरवरी 2025 में वैश्विक मांग में गिरावट के कारण निर्यात में सालाना 10.9% की गिरावट आई। इलेक्ट्रॉनिक्स, चावल और खनिज जैसे क्षेत्र निर्यात में आगे रहे, जबकि पेट्रोलियम उत्पाद, रसायन और रत्न-आभूषण निर्यात में कमजोर रहे। वहीं, आयात में 5.7% की वृद्धि हुई और यह 656.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह वृद्धि मुख्य रूप से सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम आयात के कारण हुई। हालांकि, फरवरी 2025 में आयात में 16.3% की गिरावट आई, जिससे व्यापार घाटा कम हुआ।

RBI ने बाजार में तरलता (Liquidity) संतुलित रखने के लिए खुले बाजार में संचालन (OMO), रेपो नीलामी और डॉलर/रुपया स्वैप जैसे उपाय अपनाए। इससे विदेशी पूंजी के आउटफ्लो के बावजूद घरेलू बाजार में तरलता (Liquidity) स्थिर बनी रही।

वहीं कृषि क्षेत्र में भी सकारात्मक संकेत मिले हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन 330.9 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 4.8% अधिक है। यह वृद्धि खरीफ उत्पादन में 6.8% और रबी में 2.8% वृद्धि के कारण हुई है।

वैश्विक स्तर पर संरक्षणवादी नीतियों के चलते आर्थिक वृद्धि पर हो रहा असर

बात करें वाहन क्षेत्र की तो फरवरी 2025 में कार और मोटरसाइकिल की बिक्री घटी, हालांकि ट्रैक्टर की बिक्री में दोगुनी वृद्धि देखी गई, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत मिला। वैश्विक स्तर पर ट्रेड वाॅर और संरक्षणवादी नीतियों के कारण वृद्धि पर असर पड़ा है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर 0.6% की गिरावट का खतरा है। वहीं, वैश्विक तेल की कीमतों में जनवरी 2025 के बाद से 15% की गिरावट आई है, जबकि निवेशकों की सुरक्षा खोजने की प्रवृत्ति के कारण सोने की कीमत रिकॉर्ड 3000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई।