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हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य इस सदी के पहले भाग के अंत से पहले भारत को एक विकसित देश बनाना है : राष्ट्रपति मुर्मु

हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य इस सदी के पहले भाग के अंत से पहले भारत को एक विकसित देश बनाना है : राष्ट्रपति मुर्मु
  • PublishedMarch 5, 2025

राष्ट्रपति भवन में आयोजित दो-दिवसीय विजिटर्स कॉन्फ्रेंस का मंगलवार को समापन हुआ। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अकादमिक और उद्योग जगत के बीच एक मजबूत संबंध का समर्थन किया। अपने समापन भाषण में, राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य इस सदी के पहले भाग के अंत से पहले भारत को एक विकसित देश बनाना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, शैक्षणिक संस्थानों और विद्यार्थियों से संबंधित के सभी स्टेकहोल्डर्स को वैश्विक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीयकरण के प्रयासों एवं सहयोग को मजबूत करने से युवा विद्यार्थी 21वीं सदी की दुनिया में अपनी और अधिक प्रभावी पहचान बना सकेंगे। हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों में उत्कृष्ट शिक्षा की उपलब्धता से विदेश में जाकर अध्ययन करने की प्रवृत्ति में कमी आएगी। हमारी युवा प्रतिभाओं का राष्ट्र निर्माण में बेहतर उपयोग हो सकेगा।

द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। आत्मनिर्भर होना ही सही मायने में एक विकसित, बड़ी एवं मजबूत अर्थव्यवस्था की पहचान है। अनुसंधान एवं नवाचार पर आधारित आत्मनिर्भरता हमारे उद्यमों व अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगी। ऐसे अनुसंधान और नवाचार को हरसंभव सहयोग मिलना चाहिए। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में शिक्षा और उद्योग जगत के बीच का संबंध मजबूत दिखाई देता है। उद्योग जगत और उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच निरंतर आदान-प्रदान के कारण शोध कार्य अर्थव्यवस्था एवं समाज की जरूरतों से जुड़े रहते हैं।

उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से आग्रह किया कि वे औद्योगिक संस्थानों के वरिष्ठ लोगों के साथ आपसी हित में निरंतर विचार-विमर्श करने के संस्थागत प्रयास करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थियों की विशेष प्रतिभा एवं आवश्यकताओं के अनुरूप व्यवस्था आधारित तथा लचीली शिक्षा प्रणाली का होना अत्यंत आवश्यक व चुनौतीपूर्ण है। इस संदर्भ में निरंतर सजग और सक्रिय रहने की आवश्यकता है। अनुभव के आधार पर समुचित बदलाव होते रहने चाहिए। विद्यार्थियों को सशक्त बनाना ऐसे बदलावों का उद्देश्य होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चरित्रवान, समझदार एवं योग्य युवाओं के बल पर ही कोई राष्ट्र सशक्त तथा विकसित बनता है। शिक्षण संस्थानों में हमारे युवा विद्यार्थियों के चरित्र, विवेक और क्षमता का विकास होता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख अवश्य ही उच्च शिक्षा के उदात्त आदर्शों को हासिल करेंगे और भारत माता की युवा संततियों का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करेंगे।

वहीं, सभा को संबोधित करते हुए, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत की शिक्षा प्रणाली को आकार देने की सामूहिक जिम्मेदारी पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एनईपी 2020 का त्वरित और बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन एक राष्ट्रीय मिशन होना चाहिए।

आगे की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने इस बात को दोहराया कि सामूहिक प्रयासों, एक साझा दृष्टिकोण एवं मजबूत प्रतिबद्धता के साथ शिक्षा प्रणाली को फिर से परिभाषित किया जा सकता है, जिससे 2047 तक एक विकसित देश बनने की यात्रा पर अग्रसर ज्ञान से संचालित एवं आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा।