खेल

राष्ट्रीय खेल दिवस : यूं ही नहीं मेजर ध्यानचंद को कहा जाता है हॉकी का जादूगर

राष्ट्रीय खेल दिवस : यूं ही नहीं मेजर ध्यानचंद को कहा जाता है हॉकी का जादूगर
  • PublishedAugust 29, 2024

अपनी हॉकी स्टिक से दुनिया को लोहा मनवाने वाले मेजर ध्यानचंद का आज 29 अगस्त को जन्मदिन है। उन्हें यूं ही हॉकी का जादूगर नहीं कहा जाता है। लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक, अंतरराष्ट्रीय करियर में 400 से अधिक गोल दागने वाले मेजर ध्यानचंद के जीवटता का हर कोई कायल रहा। इसके अलावा और भी बहुत कुछ है, जिसे आज लोग आने वाली पीढ़ी को बताते नहीं थकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धांजलि की अर्पित

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने लिखा, राष्ट्रीय खेल दिवस पर बधाई। आज हम मेजर ध्यानचंद जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह उन सभी लोगों को बधाई देने का अवसर है जो खेलों के प्रति जुनूनी हैं और जिन्होंने भारत के लिए खेला है। हमारी सरकार खेलों को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि अधिक से अधिक युवा खेल सकें और चमक सकें।

केंद्रीय खेल मंत्री ने पुष्पांजलि की अर्पित

वहीं इस मौके पर युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉ. मंडाविया ने पत्रकारों से कहा कि देश के नागरिकों को फिट और स्वस्थ रहना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक स्वस्थ नागरिक एक स्वस्थ समाज का निर्माण करता है और एक स्वस्थ समाज एक समृद्ध देश का निर्माण करता है।

29 अगस्त का दिन भारतीय खेलों के लिए बेहद खास

29 अगस्त का दिन भारतीय खेलों के लिए बेहद खास है। आज ही के दिन 1905 में हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। उनके सम्मान में उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद की उपलब्धियों का सफर भारतीय खेल इतिहास को गौरवान्वित करने वाला रहा है।

आखिर क्यों कहा जाता था मेजर ध्यानचंद को हॉकी का ‘जादूगर’ ?

मेजर ध्यानचंद को उनके शानदार स्टिक-वर्क और बॉल कंट्रोल की वजह से हॉकी का ‘जादूगर’ कहा जाता था। उन्होंने अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच 1948 में खेला। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान 400 से अधिक गोल किए। हॉकी जादूगर ध्यानचंद की आत्मकथा गोल 1952 में प्रकाशित हुई। भारत सरकार ने मेजर ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।

मेजर ध्यानचंद के नाम से कई किंवदंतियां

हॉकी जादूगर ध्यानचंद के नाम से कई किंवदंतियां जुड़ी हुई है, जब हिटलर ने जर्मनी के खिलाफ ध्यानचंद का जादुई खेल देखा, तो उसने उन्हें जर्मनी में बसने की पेशकश की और अपनी सेना में कर्नल का पद देने की पेशकश की, लेकिन ध्यानचंद ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं अपने देश भारत में बहुत खुश हूं और उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

एक बार मैच खेलते समय उनके साथ ऐसा भी हुआ

एक बार मैच खेलते समय मेजर ध्यानचंद विपक्षी टीम के खिलाफ एक भी गोल नहीं कर पाए। कई बार असफल होने के बाद उन्होंने मैच रेफरी से गोलपोस्ट की माप के बारे में शिकायत की और आश्चर्यजनक रूप से पाया गया कि गोलपोस्ट की आधिकारिक चौड़ाई अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार नहीं थी।

डॉन ब्रैडमैन ने कहा था- ‘वह हॉकी में वैसे गोल करते हैं जैसे क्रिकेट में रन बनाए जाते हैं’

क्रिकेट के महान खिलाड़ी डॉन ब्रैडमैन और महानतम हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की मुलाकात ऑस्ट्रेलिया के शहर एडिलेड में हुई थी। ध्यानचंद का खेल देखने के बाद डॉन ब्रैडमैन ने कहा था, वह हॉकी में उसी तरह गोल करते हैं जैसे क्रिकेट में रन बनाए जाते हैं।

खेल दिवस के दिन ही राष्ट्रपति खेल पुरस्कार से खिलाड़ियों को करते हैं सम्मानित

उल्लेखनीय है कि 29 अगस्त राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन ही राष्ट्रपति भारतीय खेलों में देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित करते है।