दुनिया में किशोरों की सबसे बड़ी आबादी भारत में, देश के किशोर ही भविष्य की बुनियाद हैं : अपूर्व चंद्रा
“भारत किशोरों की प्रतिभा को पोषित करने, उनकी महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने, सभी के लिए एक उज्ज्वल, समावेशी भविष्य बनाने के लिए, उन्हें सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है और रहेगा।” यह बात आज (गुरुवार) नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने “भारत में किशोरों की भलाई में निवेश के लिए आर्थिक मामला,” रिपोर्ट के लॉन्च के अवसर पर कही। यह रिपोर्ट जिनेवा में 77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में पार्टनरशिप फॉर मैटरनल, न्यू बोर्न एंड चाइल्ड हेल्थ (PMNCH) द्वारा जारी “ऐडलेसन्ट इन ए चेंजिंग वर्ल्ड-द केस फॉर अर्जेंट इन्वेस्टमेंट” में प्रस्तुत वैश्विक निष्कर्षों पर आधारित है।
यह रिपोर्ट हाल के दशकों में भारत में किशोर कल्याण में महत्वपूर्ण सुधारों पर प्रकाश डालती है, जो किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की व्यापक नीतियों और कार्यक्रमों को प्रदर्शित करता है। दरअसल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने किशोरों के सामने आने वाली अनोखी चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से कई पहल की हैं। इन पहलों में एक व्यापक अप्रोच शामिल है, जो शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक कल्याण, पोषण, शिक्षा और हिंसा और शोषण से सुरक्षा पर केंद्रित है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा,“भारत में दुनिया में किशोरों की सबसे बड़ी आबादी है, हमारे किशोर, हमारे भविष्य की बुनियाद हैं, जो एक जीवंत और प्रगतिशील राष्ट्र के वादे को साकार करते हैं।” किशोरों के प्रति भारत की स्पष्ट प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) सहित हमारे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनका स्वास्थ्य, शिक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। हमारी सरकार एक ऐसा माहौल बनाने के लिए समर्पित है जहां किशोर आगे बढ़ सकें, सोच-समझकर निर्णय ले सकें और समाज में सार्थक योगदान दे सकें।”
इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि भारत राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करने वाला पहला देश है, जो पुरुष और महिला, ग्रामीण और शहरी, विवाहित और अविवाहित, स्कूल जाने वाले और बाहर जाने वाले किशोर, हाशिए पर रहने वाले और अल्प-सेवा प्राप्त समूहों पर विशेष ध्यान देने के साथ ही 253 मिलियन किशोरों तक पहुंचने के लिए एक समर्पित कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा कि “देश में किशोरों की भलाई को आगे बढ़ाने में बहुत प्रगति हुई है। आयुष्मान भारत के तहत स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रशिक्षित शिक्षकों का उपयोग करके स्कूली बच्चों के लिए स्वास्थ्य संवर्धन और बीमारी की रोकथाम के उपायों को मजबूत करना है। मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना, जागरूकता बढ़ाने और मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए किशोर लड़कियों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “गैर-सरकारी संगठनों, सामुदायिक नेताओं और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देकर, हमारा लक्ष्य अपने प्रयासों को बढ़ाना और हर किशोर तक पहुंचना है, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।”
अपूर्व चंद्रा ने यह भी बताया कि भारत यू-विन प्लेटफॉर्म (U-WIN platform) लॉन्च करने वाला है, जिसे को-विन प्लेटफॉर्म (Co-WIN platform) के अनुरूप बनाया गया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्लेटफ़ॉर्म के लॉन्च होने से न केवल प्रत्येक बच्चे के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को संग्रहीत करने में बल्कि इन रिकॉर्डों को डिजिटल बनाने के साथ-साथ आने वाली चुनौतियों की निगरानी, पहचान और सुधार में भी परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ेगा।
इस मौके पर पीएमएनसीएच के कार्यकारी निदेशक रजत खोसला ने कहा कि दुनिया में 1.5 अरब लोग किशोर हैं, जिनमें से पांचवां हिस्सा भारत में रहता है। इस महत्वपूर्ण समूह के प्रति भारत सरकार की पहल की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि किशोरों को हिंसा, जल्दी गर्भधारण आदि के संबंध में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने किशोरों में निवेश की आर्थिक और सामाजिक अनिवार्यताओं को रेखांकित किया। केंद्रीय बजट 2024-25 में किशोरों की भलाई के लिए भारत सरकार द्वारा 2 लाख करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है, जिसकी उन्होंने सराहना की। उन्होंने टिप्पणी की, “भारत न केवल एलएमआईसी के लिए बल्कि दुनियाभर के अन्य देशों के लिए आशा की किरण है। भारत ने दिखाया है कि किशोरों का सशक्तिकरण किया जा सकता है।”
गौरतलब है कि किशोर आबादी के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 7 जनवरी 2014 को राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) का शुभारंभ किया ताकि 253 मिलियन किशोरों- पुरुष और महिला, ग्रामीण और शहरी, विवाहित और अविवाहित, स्कूल जाने वाले और न जाने वाले किशोरों तक पहुंच बनाई जा सके, जिसमें हाशिए पर और अवांछनीय समूहों पर विशेष ध्यान दिया जाए। यह कार्यक्रम भारत में किशोर स्वास्थ्य प्रोग्रामिंग के दायरे का विस्तार करता है, जो यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तक सीमित था अब इसके दायरे में पोषण, चोटें और हिंसा (लिंग आधारित हिंसा सहित), गैर संचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य और मादक द्रव्यों के सेवन को भी शामिल किया गया है।
दरअसल राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) और स्कूल स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम जैसे प्रमुख कार्यक्रम किशोरों की जरूरतों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने, स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने और स्कूलों, सुविधाओं और समुदाय में महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुंच सुनिश्चित करने में सहायक रहे हैं।