संसद के दोनों सदन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर शुरू करेंगे चर्चा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के गुरुवार को संसद में दिए गए अभिभाषण पर आज धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का आज पांचवां दिन है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दोनों सदनों में चर्चा के लिए 21-21 घंटे तय किए गए हैं। बीजेपी के अनुराग ठाकुर लोकसभा और सुधांशु त्रिवेदी राज्यसभा में इसकी शुरुआत कर सकते हैं।
18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद का पहला सत्र
संसद के दोनों सदनों में आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होनी है। परंपरा और संसदीय प्रक्रियाओं के अनुसार, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद, लोकसभा और राज्यसभा राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए अलग-अलग धन्यवाद प्रस्ताव पारित करती हैं। 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद का यह पहला सत्र है।
राष्ट्रपति ने सरकार की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला
गुरुवार को संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के संकल्प ने भारत को आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना दिया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि केंद्र सरकार मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज और एग्रीकल्चर को समान महत्व दे रही है। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार की पहलों को भी सूचीबद्ध किया और कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पिछले दस वर्षों में तीन लाख 80 हजार किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि नई सरकार इस संसद सत्र में अपना पहला आम बजट पेश करने जा रही है, जो उसकी दूरगामी नीतियों और भविष्य की दूरदर्शिता का एक प्रभावी दस्तावेज होगा और सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।
पेपर लीक की हालिया घटनाओं का भी किया जिक्र
अपने लगभग एक घंटे के संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सरकार पेपर लीक की हालिया घटनाओं की निष्पक्ष जांच के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और सुनिश्चित करेगी कि दोषियों को सजा मिले। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश भर में ठोस कदम उठाना जरूरी है।
अगले महीने की पहली तारीख से लागू होने वाली भारतीय न्याय संहिता के बारे में बात करते हुए राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि अब सजा के बजाय न्याय को प्राथमिकता मिलेगी, जो संविधान की भावना के अनुरूप भी है।