साइबर क्राइम को लेकर गृह मंत्रालय का अलर्ट, ‘डिजिटल अरेस्ट’ बना साइबर अपराध का नया तरीका
तेजी से बदल रहे माहौल के बीच साइबर सिक्योरिटी एक अहम मुद्दा बन चुका है। इसी को लेकर गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम के नए तरीकों को लेकर एक नया अलर्ट जारी किया है। भारत ने साइबर अपराधियों द्वारा जांच एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को “डिजिटल अरेस्ट” करने को लेकर अलर्ट जारी किया है।
साइबर ठग सरकारी एजेंसियों के नाम पर लोगों से कर रहे ठगी
दरअसल, साइबर ठग अब सरकारी एजेंसियों के नाम पर लोगों को डरा धमकाकर पैसे ऐंठने का काम रहे हैं। साइबर ठग अब पुलिस अधिकारी, सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग, रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य एजेंसियों की ओर से ब्लैकमेल और डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देकर लोगों से वसूली को अंजाम दे रहे हैं।
साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें दर्ज
बताना चाहेंगे इन दिनों राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। ऐसे में साइबर क्रिमिनल्स आम नागरिकों को कैसे अपने जाल में फंसाते हैं और कैसे उनसे बचा जा सकता है यह जानना बेहद जरूरी है।
इन मामलों में जालसाज आमतौर पर संभावित पीड़ित को कॉल कर कहते हैं कि पीड़ित ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नक़ली पासपोर्ट या अन्य कोई प्रतिबंधित वस्तु है। कभी-कभी वो ये भी सूचित करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। ऐसे कथित केस में समझौता करने के लिए पैसों की मांग की जाती है।
क्या होता है “डिजिटल अरेस्ट” जो बन गया है साइबर अपराध का नया तरीका ?
कुछ मामलों में पीड़ितों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का सामना करना पड़ता है और उनकी माँग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग प्लेटफ़ॉर्म पर धोखेबाज़ों के लिए उपलब्ध रहने के लिए मजबूर किया जाता है। ये जालसाज़ पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज़ पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं।
साइबर क्राइम बना संगठित अपराध
साइबर क्राइम आज एक संगठित आर्थिक अपराध का रूप ले चुका है जिसे सीमा पार से अपराध सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है। गृह मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) देश में साइबर अपराध से निपटने और उसकी रोकथाम के लिए कार्य करता है।
साइबर अपराध की रोकथाम के लिए गृह मंत्रालय ने उठाया ये बड़ा कदम
ऑनलाइन धोखाधड़ी से निपटने के लिए यह संस्था गृह मंत्रालय, अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, आर.बी.आई और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करती है। साथ ही साइबर क्राइम के मामलों की पहचान और जाँच के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता भी प्रदान करती है।
I4C ने माइक्रोसॉफ़्ट के सहयोग से ऐसी गतिविधियों में शामिल 1000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘Cyberdost X’, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं।
नागरिकों को इस प्रकार की जालसाज़ी से सावधान रहने और इनके बारे में जागरूकता फैलाने की सलाह दी जाती है। ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता के लिए रिपोर्ट करने की सलाह दी जाती है।