पश्चिम बंगाल के शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार केस में कलकत्ता हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सभी नियुक्तियां की रद्द
पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार केस में कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने 2016 के स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) पैनल के मुताबिक की गई सभी नियुक्तियों को रद्द करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में करीब 25 हजार से अधिक नियुक्त हुए शिक्षकों की नौकरी रद्द कर दी है। केवल इतना ही नहीं कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि अवैध तरीके से नियुक्त गए शिक्षकों से वेतन को ब्याज सहित वसूला जाएगा।
अवैध तरीके से नियुक्त शिक्षकों से ब्याज समेत वसूला जाएगा वेतन
जस्टिस देवांग्शु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। करीब 22 हजार से ज्यादा अवैध नियुक्तियां रद्द की गई हैं और उनसे आज तक मिली सेलरी पर 12 फीसदी के हिसाब से ब्याज लगाकर रुपये की वसूली होगी।
इन नियुक्ति को लेकर अब तक चल रही थी सुनवाई
दरअसल, कोर्ट में स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) ग्रुप सी, ग्रुप डी, 9वीं, 10वीं और 11वीं-12वीं की नियुक्ति को लेकर अब तक सुनवाई चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाई कोर्ट की विशेष बेंच को भेज दिया था। खास बात ये है कि अवैध तरीके से नियुक्त हुए लोगों के लिए तृणमूल कांग्रेस के सांसद और अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने हाई कोर्ट में पक्ष रखा। अवैध नियुक्तियों के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता और माकपा नेता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कोर्ट में सवाल-जवाब किए थे।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व जस्टिस गांगुली ने मांगा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफा
वहीं राज्य में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए हुईं 25 हजार से अधिक नियुक्तियों को कलकत्ता हाई कोर्ट से रद्द किये जाने के बाद कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और तमलुक लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार अभिजीत गांगुली ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए तुरंत ममता बनर्जी के इस्तीफा की मांग की है।
उन्होंने कहा, “अदालत ने उचित फैसला दिया है लेकिन आज मेरे लिए राहत का दिन नहीं है। क्योंकि मेरा राज्य इसी मुख्यमंत्री के अधीन चल रहा है। वास्तविक पात्र नौकरी चाहने वाले इतने लंबे समय से वंचित हैं। आशा है उनके लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी।” अभिजीत ने कहा, “योग्य उम्मीदवारों को वंचित कर दिया गया है। वंचितों में हिंदू और मुस्लिम भी शामिल हैं। राष्ट्रपति शासन के तहत चुनाव होने चाहिए।”
हाई कोर्ट के जज रहते हुए जस्टिस अभिजीत गांगुली ने ही शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामलों की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। उनके कई फैसलों पर लगातार खंडपीठ की रोक लगी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट तक पत्र लिखकर खंडपीठ के उन जजों पर उन्होंने सवाल खड़ा किया था जो रोक लगा रहे थे। आखिरकार देश की शीर्ष अदालत में उन्हीं के फैसले को हरी झंडी देते हुए मामले की सीबीआई जांच जारी रखने का आदेश दिया था। इसी की वजह से आज यह फैसला आया है। (इनपुट-हिंदुस्थान समाचार)