गगनयान को लेकर बड़ी जानकारी, रोबोट व्योममित्र के बाद गगनयान की होगी लॉन्चिंग
इसरो के मानव मिशन गगनयान की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। ऐसे में गगनयान को लेकर केंद्रीय मंत्री ने बड़ी जानकारी दी है। दरअसल, मानव युक्त गगनयान अंतरिक्ष में जाने से पहले महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री ‘व्योममित्र’ पहले अंतरिक्ष में उड़ान भरेगी जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाली भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान होगी।
इस बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मानवरहित ‘व्योममित्र’ मिशन इस वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए निर्धारित है, जबकि एक मानवयुक्त मिशन ‘गगनयान’ अगले वर्ष अर्थात 2025 में प्रक्षेपित किया जाना है।
व्योममित्र क्या है और कैसे करेगा काम
व्योममित्र नाम संस्कृत के दो शब्दों व्योम (जिसका अर्थ है अंतरिक्ष) और मित्र (जिसका अर्थ है मित्र) से मिलकर बना है। उन्होंने कहा कि यह महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री मॉड्यूल के मानकों (पैरामीटर्स) की निगरानी करने, चेतावनी जारी करने और जीवन रक्षक कार्यों (लाइफ सपोर्ट ऑपरेशन्स) को निष्पादित करने की क्षमता से युक्त है। उन्होंने बताया कि यह छह पैनलों को संचालित करने और प्रश्नों का उत्तर देने जैसे कार्य कर सकता है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि “व्योममित्र” अंतरिक्ष यात्री को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे कि अंतरिक्ष के वातावरण में मानव कार्यों का अनुकरण किया जा सके और इसका लाइफ सपोर्ट सिस्टम के साथ तारतम्य बैठाया जा सके।
टेस्ट फ्लाइट का हो चुका है परीक्षण
बता दें कि भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान ‘गगनयान’ के प्रक्षेपण की तैयारी के रूप में, पहली परीक्षण वाहन उड़ान (टेस्ट फ्लाइट) टीवी डी 1 पिछले वर्ष 21 अक्टूबर को पूरी कर ली गई थी। इसका उद्देश्य चालक दल की आपातकालीन स्थिति में बचाव प्रणाली (क्रू एस्केप सिस्टम) और पैराशूट प्रणाली को योग्य बनाना था। प्रक्षेपण यान की मानव रेटिंग पूरी हो गई है। सभी प्रणोदन चरण (प्रोपल्शन स्टेजेज) उपयुक्त पाए गए हैं और सभी तैयारियां हो चुकी हैं।
इस साल रोबोट व्योममित्र की उड़ान अगले वर्ष गगनयान
मानव रहित रोबोट “व्योममित्र” की उड़ान इस वर्ष होगी, जबकि “गगनयान” अगले वर्ष प्रक्षेपित किया जाएगा। गगनयान परियोजना में अंतरिक्ष यात्रियों के एक दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेज कर और फिर इन मानव अंतरिक्ष यात्रियों को भारत के समुद्री जल में उतारकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष क्षमताओं के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है।