अब ये मूर्तियां कराएंगी ‘त्रेता युग’ का अहसास
मुगल, ब्रिटिश गुलामी काल और फिर आजादी के बाद से केंद्र में पीएम मोदी की सरकार बनने से पहले तक उपेक्षित रही अयोध्या के दिन अब बदलने लगे हैं। साल 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने अयोध्या को भले ही अपनी प्राथमिकता में नहीं रखा, लेकिन उसी अयोध्या का गौरवशाली वैभव लौटाने में पीएम मोदी और सीएम योगी की डबल इंजन सरकार ने जमीन-आसमान एक कर दिया है।
अद्भुत, अलौकिक और भाग्योदय वाली ‘त्रेतायुगीन अयोध्या’ अब अपने पुराने वैभव की ओर लौट रही है। यही कारण है कि आज अयोध्या देश के साथ दुनिया के भी आकर्षण का केंद्र हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में अयोध्या ने बदलाव के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं, जिनकी अब देश व दुनिया में चर्चा हो रही है। अयोध्या को त्रेतायुगीन इसलिए कहा गया है क्योंकि त्रेता युग से इसका अस्तित्व बताया जाता है। चार युगों के चक्र में इसे दूसरा युग माना जाता है। प्राचीन युगों से यह संबंध इस शहर के ऐतिहासिक महत्व को और अधिक बढ़ाता है।
अब बदलने लगे अयोध्या के दिन
मुगल, ब्रिटिश गुलामी काल और फिर आजादी के बाद से केंद्र में पीएम मोदी की सरकार बनने से पहले तक उपेक्षित रही अयोध्या के दिन अब बदलने लगे हैं। साल 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने अयोध्या को भले ही अपनी प्राथमिकता में नहीं रखा, लेकिन उसी अयोध्या का गौरवशाली वैभव लौटाने में पीएम मोदी और सीएम योगी की डबल इंजन सरकार ने जमीन-आसमान एक कर दिया है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने जहां अयोध्या के कायाकल्प का संकल्प लिया, वहीं उसकी शुरुआत फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या करने से की गई। इसके बाद अयोध्या को नगर निगम बनाकर इसके पुनरोद्धार की जिस अद्भुत पहल की शुरुआत हुई वो फिलहाल 30 हजार करोड़ से भी अधिक की परियोजनाओं के तेज गति से मूर्तरूप लेने की महान गाथा बन चुकी है।
रामायण प्रसंग की मूर्तियां कराएंगी त्रेतायुगीन वैभव का अहसास
पिछली सरकार में सदा उपेक्षित रही अयोध्या 2017 के बाद से ही त्रेतायुगीन वैभव का अहसास करा रही है। वहीं केंद्र से तालमेल व संवाद कर योगी सरकार ने लखनऊ से गोरखपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास को नई दिशा दी। साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, महर्षि वशिष्ठ, संकट मोचन हनुमान आदि की मूर्तियां लगवाई, जो त्रेतायुग के वैभव का अहसास करा रही है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं की नजर में आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अयोध्या की अलग ही छवि बनकर आई।
24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति
झूलते-लटकते बिजली के जर्जर तार अब पुराने दिनों की बात हो गई। 2017 के पहले जिस अयोध्या को मुकम्मल बिजली भी नहीं दी जाती थी आज वहां 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति हो रही है। सिर्फ इतना ही नहीं सूर्यवंशी राजा श्रीराम की नगरी को सोलर सिटी बनाने का संकल्प भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया है, जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
4115.56 करोड़ की 50 से अधिक परियोजनाओं को किया गया पूर्ण
उल्लेखनीय है कि केंद्र व प्रदेश सरकार के नेतृत्व में अयोध्या का संपूर्ण विकास हो रहा है। यहां लगभग 30 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाएं चल रही हैं। इसमें से अब तक 4115.56 करोड़ की 50 से अधिक परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया गया है। 1462.97 करोड़ की लागत से बने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा व 241 करोड़ से अयोध्या धाम स्टेशन फेज-1 का विकास कार्य उन प्रमुख परियोजनाओं में शामिल है, जिनका लोकार्पण पीएम के दौरे पर प्रस्तावित है। पिछली सरकार में यहां चिकित्सा व्यवस्था को खुद इलाज की जरूरत थी, लेकिन योगीराज में यहां राजर्षि दशरथ स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का 245.64 करोड़ से निर्माण हुआ। नयाघाट पर लता मंगेशकर चौक 75.26 करोड़ से नई आभा के साथ चमक रहा है। राम की पैड़ी पर लाइट एंड साउंड का कार्य 2372.10 लाख से हुआ। राम की पैड़ी के घाट का विस्तार तो हुआ ही, पानी के फ्लो को भी अनवरत किया गया।
साल दर साल दीपोत्सव ने भी तोड़ा अपना रिकॉर्ड
अयोध्या में दीपोत्सव की सोच अखिलेश सरकार में कोई सोच भी नहीं सकता था, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने ना सिर्फ दीपोत्सव का आगाज किया, बल्कि इसके शिल्पकार बनकर साल दर साल इस महाआयोजन को नया आयाम भी दिया। 2017 में दीपोत्सव में जहां 1.71 लाख दीप जले, वहीं 2018 में यह संख्या 3.01 लाख हो गई। 2019 में 4.04 लाख, 2020 में 6.06 लाख, 2021 में 9.41 लाख और 2022 में 15.76 लाख दीप प्रज्ज्वलित कर कीर्तिमान स्थापित किया गया, लेकिन 2013 में यह रिकॉर्ड भी टूटा। यहां 11 जनवरी को दीपोत्सव में 22.23 लाख दीप प्रज्जवलित किए गए। हर वर्ष दीपों के साथ प्रदेश व देश की समृद्धि बढ़ती गई।
2022 में ही 2.21 करोड़ से अधिक पर्यटकों ने किया अयोध्या का दीदार
पिछली सरकार के पास विकास की सोच न होने का परिचायक है कि अयोध्या समृद्धि से बेगानी रही। इसका कोई पुरसाहाल नहीं था। तब यहां भय और संशय से भरा सन्नाटा परसा रहता था। टेंट में प्रभु श्रीराम तो थे ही, यहां आने-जाने से भी लोग डरते थे। आज वही अयोध्या है जो योगी आदित्यनाथ के 2017 में सीएम बनने के बाद भारत के प्रमुख धार्मिक पर्यटनस्थलियों में शीर्ष की ओर बढ़ रही है। 2022 में यहां 2,21,12,402 भारतीय और 26403 विदेशी पर्यटक (कुल 2,21,38,805 पर्यटकों) पहुंचे और इस पावन भूमि के रज को सिर माथे पर लगाया। 2017 में 1.78 करोड़, 2018 में 1.95 करोड़, 2019 में 2.4 करोड़ पर्यटक यहां पहुंचे। 2021 में कोरोना के कहर के बावजूद 1.57 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने अयोध्या आकर पूजन-अर्चन किया।
पहले सिंगल लेन और अब फोर लेन से समृद्धि के पथ पर बढ़ी अयोध्या
किसी को भी जानकर आश्चर्य होगा कि 2017 के पहले भगवान श्रीराम के टेंट वाले मंदिर को छोड़िए हनुमानगढ़ी तक भी सीधी-सपाट सड़क नहीं थी। अयोध्या को पूरी तरह से उसके हाल पर छोड़ दिया गया था, लेकिन योगी सरकार में फोर लेन से अयोध्या आज समृद्धि के पथ पर बढ़ रही है। राम जन्मभूमि तक 44.98 करोड़ की लागत से फोर लेन मार्ग का निर्माण किया गया है। इसके अलावा अयोध्या के चार पथों को विकसित कर योगी सरकार ने इन्हें कोड व रंग प्रदान कर अलौकिक रूप देने का कार्य भी किया है।
अयोध्या के चार पथ
रामपथ- सहादतगंज से लता मंगेशकर चौक (नया घाट) 12.940 किमी, लागत- 844.94 करोड़ रुपये
जन्मभूमि पथ- कुल लम्बाई 0.566 किमी. (सुग्रीव किला, बिड़ला धर्मशाला से होते हुए राम जन्म भूमि मंदिर तक), लागत- 41.02 करोड़ रुपये
भक्ति पथ- श्रृंगार हाट से हनुमानगढ़ी तक, कुल लम्बाई 0.742 किमी, लागत- 68.04 करोड़ रुपये
धर्मपथ- लता मंगेशकर चौक से लखनऊ गोरखपुर हाईवे तक, लम्बाई-2 किमी, लागत- 65.40 करोड़ रुपये