रक्षा निर्यात में 10 साल में 34 गुना बढ़ोतरी, वर्ष 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निर्यात

भारत के रक्षा निर्यात ने 2024-25 में रिकार्ड बढ़ोतरी दर्ज की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि पिछले एक दशक में इसमें 34 गुना की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 में जहां रक्षा निर्यात केवल 686 करोड़ रुपये था, वहीं वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये हो गया है। यह वृद्धि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों की सफलता को दर्शाती है, जिसके तहत सरकार ने रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए हैं। इनमें प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम जैसी योजनाएं भी शामिल हैं, जिसका उद्देश्य भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना, विदेशी निवेश आकर्षित करना और आयात पर निर्भरता कम करना है।
रक्षा मंत्री के मुताबिक, इस तेज प्रगति ने रक्षा क्षेत्र की ताकत को दिखाया है और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) के निवेशकों को भी अच्छा लाभ दिलाया है। रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में अब कई नए हब स्थापित किए गए हैं और भारत वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। कई विदेशी कंपनियां अपनी तकनीक भारतीय कंपनियों को देने या साझा करने को भी तैयार हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार, सिस्टम/सब-सिस्टम और उनके पुर्जे जैसे विभिन्न रक्षा उत्पाद निर्यात किए हैं। सरकार ने अब 2029 तक सालाना 50,000 करोड़ रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।
इस बढ़त का असर शेयर बाजार पर भी दिखा है। ‘निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स’ ने पिछले तीन महीनों में 30% से अधिक की वृद्धि दर्ज की है, जो निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के प्रभावी प्रदर्शन ने भी आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण के सामरिक और आर्थिक महत्व को और मजबूत किया है।