जनवरी में भारत ने खूब बेचे स्मार्टफोन, पीएलआई योजना की वजह से 140 प्रतिशत बढ़ा निर्यात
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जनवरी में भारत का स्मार्टफोन निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 140 प्रतिशत बढ़ा है। इंडस्ट्री एस्टिमेट के मुताबिक निर्यात से 25,000 करोड़ रुपए (3 बिलियन डॉलर) की रिकॉर्ड कमाई हुई है और इसकी एक अहम वजह एप्पल और सैमसंग जैसी टॉप टेक्नोलॉजी कंपनियों का अपनी सप्लाई चेन से विदेशों में शिपमेंट बढ़ाना रहा।
स्मार्टफोन के नेतृत्व में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्यात में हाल के वर्षों में सरकार की उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की बदौलत तेजी आई है, जिसने कम्युनिस्ट देश के अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत आने के बाद चीन के बाहर वैकल्पिक सप्लाई चेन स्थापित करने की चाह रखने वाले विदेशी टेक दिग्गजों को आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की है।
स्मार्टफोन का कुल निर्यात 1.55 लाख करोड़ रुपए
इससे चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी की 10 महीने की अवधि के लिए स्मार्टफोन का कुल निर्यात 1.55 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 99,120 करोड़ रुपये के आंकड़े से 56 प्रतिशत अधिक है।
फॉक्सकॉन के एप्पल आईफोन सप्लाई चेन ने निर्यात में करीब 70 प्रतिशत का योगदान
तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन के एप्पल आईफोन सप्लाई चेन ने निर्यात में करीब 70 प्रतिशत का योगदान दिया, जिससे 50 फीसदी तक के विदेशी शिपमेंट में इजाफा हुआ। फॉक्सकॉन फैक्ट्री से निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
लगभग 22 प्रतिशत निर्यात आईफोन विक्रेता टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स से आया, जिसने कर्नाटक में विस्ट्रॉन स्मार्टफोन निर्माण फैक्ट्री का अधिग्रहण किया है।
निर्यात की गई खेपों का एक और 12 प्रतिशत तमिलनाडु में पेगाट्रॉन फैसिलिटी से आया, जिसमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने जनवरी के अंत में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की।
टाटा समूह देश में आईफोन का एक प्रमुख उत्पादक
वहीं दूसरी ओर दो ताइवानी कंपनियों के अधिग्रहण के साथ, टाटा समूह देश में आईफोन का एक प्रमुख उत्पादक बनकर उभरा है। दक्षिण कोरियाई टेक दिग्गज सैमसंग ने भारत से कुल स्मार्टफोन निर्यात में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान दिया।
सरकार की पीएलआई योजना की वजह से भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्यात में तेजी
गौरतलब हो, स्मार्टफोन के नेतृत्व में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्यात में हाल के वर्षों में सरकार की उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की बदौलत तेजी आई है, जिसने कम्युनिस्ट देश के अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत आने के बाद चीन के बाहर वैकल्पिक सप्लाई चेन स्थापित करने की चाह रखने वाले विदेशी टेक दिग्गजों को आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की है।
संसद में पेश की गई जानकारी के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन लिंक्ड स्कीम (पीएलआई) दिसंबर 2024 तक 10,213 करोड़ रुपये के संचयी निवेश को लाने में सफल रही है, जिससे 1.37 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं और देश के निर्यात को बढ़ावा मिला है।
देश से अब मोबाइल फोन निर्यातक बन गया है
विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत 6,62,247 करोड़ रुपये का संचयी उत्पादन हासिल किया गया है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने हाल ही में संसद को बताया, “इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीतियों के कारण, भारत 2014-15 में मोबाइल आयात करने वाले देश से अब मोबाइल फोन निर्यातक बन गया है।”
पीएलआई योजना के तहत मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 में लगभग 60 मिलियन मोबाइल फोन से बढ़कर 2023-24 में लगभग 330 मिलियन मोबाइल फोन हो गया है। यह पिछले 10 वर्षों में निर्मित मोबाइल फोन की संख्या में पांच गुना से अधिक की वृद्धि है।
मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 में मात्र 19,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 4,22,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो 41 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है।
बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई योजना की शुरुआत के बाद से, मोबाइल फोन निर्यात 2020-21 में 22,868 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 1,29,074 करोड़ रुपये हो गया है, जो 78 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है।
भारत में इस्तेमाल किए जा रहे 99.2 प्रतिशत मोबाइल हैंडसेट देश में ही बन रहे हैं
इसके अलावा, जहां 2015 में भारत में बिकने वाले सभी मोबाइल फोन में से 74 प्रतिशत आयात किए गए थे, वहीं अब भारत उस मुकाम पर पहुंच गया है जहां भारत में इस्तेमाल किए जा रहे 99.2 प्रतिशत मोबाइल हैंडसेट देश में ही बनाए जाते हैं।