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भारत की कर प्रणाली आज दुनिया में सर्वाधिक पारदर्शी और विश्वसनीय: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

भारत की कर प्रणाली आज दुनिया में सर्वाधिक पारदर्शी और विश्वसनीय: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
  • PublishedDecember 4, 2024

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में दुनिया की सर्वाधिक अच्छी कराधान प्रणाली है, पारदर्शिता, कानून का शासन और कर नीतियों में स्थिरता जिसकी विशेषता है। इन नीतियों और कानूनों की बदौलत दुनिया भर की कंपनियां और लोग भारत में निवेश करने के उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि स्थिर कर नीति के कारण भारत वैश्विक निवेशकों के लिए पसंदीदा निवेश स्थलों में से एक के रूप में उभरा है। कर सुधार उपायों, विशेषकर माल और सेवा कर (जीएसटी) का उल्लेख करते हुए बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि हाल के उपायों ने कराधान को सरल बनाया है और भारत में कारोबार करना सुगम बना दिया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी ने हमारे देश में “एक राष्ट्र, एक कर” की प्रणाली शुरू की है और पूरी दुनिया इससे सीख ग्रहण करने के उत्सुक है।

संसद और सरकार ने समय-समय पर कराधान प्रणाली में किए हैं सुधार

बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि संसद और सरकार ने समय-समय पर कराधान प्रणाली में सुधार किए हैं, इसी के कारण आज भारत की कराधान प्रणाली दुनिया में सर्वाधिक पारदर्शी और विश्वसनीय मानी जाती है। उन्होंने कहा कि आईआरएस अधिकारियों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है, जिसके कारण दुनिया भर के निवेशक भारत में निवेश कर रहे हैं।

बिरला संसद भवन परिसर में आईआरएस (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के 73 प्रशिक्षु अधिकारियों (ओटी) के लिए संसदीय प्रक्रियाओं और कार्य पद्धतियों में प्रशंसा पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे, जिनमें 74वें और 75वें बैच के अधिकारी और रॉयल भूटान कस्टम्स के 5 प्रशिक्षु अधिकारी शामिल थे। इस पाठ्यक्रम का आयोजन संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड), लोकसभा सचिवालय द्वारा किया गया था। बिरला ने प्रशिक्षु अधिकारियों को बताया कि 1947 में देश का बजट लगभग 170 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। बिरला ने कहा कि यह उनके जैसे अधिकारियों के प्रयासों और योगदान का परिणाम है।

भारत की संसद ने समाज के हर वर्ग के लिए बनाई हैं कल्याणकारी योजनाएं

हमारे संविधान और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों द्वारा भारत की प्रगति का मार्गदर्शन किए जाने की बात पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि हमारे संस्थापकों ने संसदीय लोकतंत्र का एक मॉडल स्थापित किया है, जिसने दुनिया को दिखाया है कि विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के लोगों वाली विविध आबादी को कैसे एकजुट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश की लोकतांत्रिक यात्रा के पिछले 75 वर्षों में, भारत की संसद ने न केवल संविधान में संशोधन किए हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाएं भी बनाई हैं।

बिरला ने अधिकारियों से अपनी सेवा को मिशन बनाने का किया आह्वान

इस अवसर पर बिरला ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ने में अधिकारियों का नेतृत्व किया। बिरला ने अधिकारियों से अपनी सेवा को अपना मिशन बनाने का आह्वान किया, ताकि राष्ट्र का बेहतर भविष्य की दिशा में बढ़ना सुनिश्चित हो सके। बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रदत्त जिम्मेदारियों को पारदर्शिता, ईमानदारी और दक्षता के साथ पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अपनी कड़ी मेहनत, कौशल और तकनीकी ज्ञान की बदौलत वे न केवल राष्ट्र के राजस्व में वृद्धि करेंगे, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना भी करेंगे। उन्होंने कहा कि सेवा राजस्व को नियमित करने, राजस्व के पारदर्शी संग्रह और ईमानदारी और परिश्रम के साथ राजस्व बढ़ाने में सबसे आगे है।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस प्रशंसा पाठ्यक्रम से संसद की कार्यप्रणाली और कानून निर्माण के बारे में उनकी समझ बढ़ेगी, जिससे वे बेहतर अधिकारी बनेंगे और राष्ट्र के प्रति उनका योगदान और भी अधिक प्रभावशाली होगा। इस अवसर पर लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया। लोक सभा के संयुक्त सचिव गौरव गोयल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर एनएसीआईएन के प्रधान महानिदेशक गाइगोंगदीन पानमेई भी उपस्थित थे।