प्रधानमंत्री मोदी ने मौलाना आज़ाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (सोमवार) मौलाना आज़ाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने उन्हें ज्ञान का प्रतीक के रूप में और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए सराहा। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री और प्रमुख शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सम्मान में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
पीएम मोदी ने एक्स पर कहा
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज उनकी जयंती पर, हम मौलाना आज़ाद को श्रद्धांजलि देते हैं। उन्हें ज्ञान के प्रतीक के रूप में और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है। वह एक गहन विचारक और विपुल लेखक भी थे। हम विकसित और सशक्त भारत के उनके दृष्टिकोण से प्रेरित रहते हैं।”
यह दिन भारत के भविष्य को आकार देने में शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालता है
स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री और प्रमुख शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सम्मान में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के भविष्य को आकार देने में शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालता है। देश की 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, इसलिए उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास के अवसर प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
भारत सरकार मजबूत शिक्षा बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए समर्पित
दरअसल भारत सरकार मजबूत शिक्षा बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए समर्पित है जो छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देती है और युवाओं को राष्ट्र को प्रगति की ओर ले जाने के लिए सशक्त बनाती है। 78वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि अगले 5 वर्षों में मेडिकल क्षेत्र में 75,000 नई सीटें शुरू की जाएंगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से हम वर्तमान शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बदलना चाहते हैं।
हम प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की भावना को पुनर्जीवित करेंगे
15 अगस्त को लाल किले से पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि हम प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की भावना को पुनर्जीवित करेंगे, उच्च शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित करेंगे। हमें भारत में तेज गति से विकास की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए भविष्य के लिए तैयार कुशल संसाधन तैयार करने होंगे। उन्होंने कहा था कि हम ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करना चाहते हैं ताकि हमारे देश के युवाओं को विदेश जाने की जरूरत न पड़े। हमारे मध्यमवर्गीय परिवारों को लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं, हम ऐसे संस्थान भी बनाना चाहते हैं जो विदेशों से लोगों को भारत आने के लिए आकर्षित करें।