नई पीढ़ी राजनीति, अर्थव्यवस्था, सामाजिक सद्भाव और विकास के प्रेरक शक्ति: उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सहिष्णुता एक गुण है। यह हमारी सभ्यता के लोकाचार में गहराई से समाया हुआ है। यह समाज में सामंजस्य और समावेशिता का आधार है। यह सामाजिक समरसता का एक अभिन्न पहलू है।
रजत जयंती समारोह
रविवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में महाराजा अग्रसेन तकनीकी शिक्षा संस्था (मेट्स) के रजत जयंती समारोह के समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में धनखड़ ने कहा, “सामाजिक सद्भाव के बिना, बाकी सब कुछ अप्रासंगिक हो जाता है। अगर घर में शांति नहीं है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि घर में कितनी संपत्ति है या घर कितना बड़ा है। सामाजिक सद्भाव हमारा आभूषण है। हमने इसे सदियों से देखा है।
सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की जरूरत
मैं आप सभी से आग्रह करूंगा। सबसे पहले, यह एक अमूर्त विचार लग सकता है, लेकिन अपने माता-पिता, अपने शिक्षकों, अपने बुजुर्गों, अपने पड़ोसियों, अपने साथ रहने वाले लोगों को देखें- यदि आप सहिष्णु हैं, यदि आप सामाजिक सद्भाव बनाए रखते हैं, तो इसमें कुछ खास बात है। यह एक ऐसी बारिश की तरह होगी, जिसमें सभी को प्रसन्नता का अनुभव होगा।उन्होंने कहा,‘‘मैं आप सभी से आग्रह करता हूं, ग्रहणशील बनें, सहनशील बनें; यह हमेशा लाभ देगा। और हर काम में स्वयं से पूछें, ‘‘मैं सामाजिक सद्भाव कैसे बढ़ा सकता हूं? आखिरकार, हम अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली मशीन नहीं हैं। हम इंसान हैं। हम एक ऐसे राष्ट्र का हिस्सा हैं, जो 5,000 साल पुरानी सभ्यता है।’’
अधिकारों के साथ कर्तव्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता
नागरिक के तौर पर अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने अधिकारों के प्रति बहुत सचेत हैं, लेकिन हर अधिकार आपके कर्तव्य से जुड़ा हुआ है। और मेरे हिसाब से, जिस तरह राष्ट्र का हित राजनीतिक और व्यक्तिगत हितों से ऊपर है, उसी तरह, आपका हर अधिकार, आपका मौलिक अधिकार, आपकी ज़िम्मेदारी से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। यह आपका नागरिक कर्तव्य है कि आप कर्तव्यों को हमेशा अधिकारों से अधिक प्राथमिकता दें।’’
दूसरों की राय सुनने को दें महत्व
दूसरों की राय को सुनने के महत्व पर बल देते हुए और इसे अपने रास्ते में सुधार करने के तंत्र के रूप में संज्ञा देते हुए, उप राष्ट्रपति ने रेखांकित किया, ‘‘जब किसी व्यक्ति की अपनी राय होती है, तो वे अक्सर उससे इतने जुड़ जाते हैं कि उन्हें लगता है, ‘‘यह मेरी राय है, कोई दूसरी राय कैसे हो सकती है? मेरी राय सही है।’’ जो व्यक्ति कहता है, ‘‘मेरी राय सही है’’ अक्सर यह वही व्यक्ति होता है, जिसकी राय गलत होती है। हमें हमेशा दूसरों की राय को सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए। आखिरकार, बोलने वाला व्यक्ति भी अपनी राय व्यक्त कर रहा है। और अधिकतर, युवा लड़के और लड़कियों, आप पाएंगे कि दूसरे की राय भी समृद्ध और सही है।
अलग-अलग राय ऊर्जा का रूप
उन्होंने आगे कहा, ‘‘यह कभी भी अनिवार्य नहीं है कि जब कोई अपनी राय व्यक्त करता है, तो हमें उसे स्वीकार करना चाहिए नहीं, यह आवश्यक नहीं है। लेकिन, उनकी बात को न सुनना, उस पर चिंतन न करना, उस पर विचार न करना – यह हमारी सभ्यता का हिस्सा नहीं है। हम कभी भी दिल से दिल के मतभेदों में नहीं पड़ते हैं। राय अलग-अलग होंगी, लेकिन अलग-अलग राय ऊर्जा का एक रूप है, जो व्यक्तियों को अपने रास्ते में सुधार करने में मदद करती है। और अगर कुछ और नहीं, तो यह आपको सिक्के का दूसरा पहलू दिखाता है। इसलिए, मैं आपसे हमेशा आग्रह करूंगा, कृपया बोलने से पहले सुनें।’’
इंटर्नशिप योजना की सराहना की
नई शुरू की गई इंटर्नशिप योजना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सराहना करते हुए, धनखड़ ने रेखांकित किया, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति तीन दशकों के गहन विचार-विमर्श के बाद विकसित की गई हैं, जिसमें सैकड़ों, हजारों सुझावों को ध्यान में रखा गया। अब यह क्या प्रदान करती है? अनुभवात्मक अधिगम, आलोचनात्मक सोच, अनुसंधान के लिए उद्योग-अकादमिक साझेदारी को सक्षम करते हुएतथा पिछले बजट में सरकार द्वारा युवाओं के लिए इंटर्नशिप हेतु जो नया तंत्र विकसित किया गया है, वह गेम-चेंजर होने जा रहा है। युवा लड़के और लड़कियों, शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर उद्यमकर्ता संबंधी कौशल और डिजाइन सोच के इस एकीकरण का उद्देश्य छात्रों के लिए उद्यमिता को एक व्यवहार्य कैरियर मार्ग के रूप में स्थापित करना है।’’
युवा अपना लक्ष्य निर्धारित करें
युवाओं और नई पीढ़ी को राजनीति, अर्थव्यवस्था, विकास और सामाजिक सद्भाव के पीछे प्रेरक शक्ति बताते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, ‘‘आप राजनीति और अर्थव्यवस्था, सामाजिक सद्भाव और विकास के पीछे प्रेरक शक्ति हैं। इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कृपया अपने लक्ष्य निर्धारित करें, क्योंकि आप ऐसे भारत में हैं जो समुद्र, जमीन, आकाश और अंतरिक्ष में शानदार प्रदर्शन कर रहा है। आपके पास समुद्र में एक नीली अर्थव्यवस्था है। यह आपके लिए अवसरों के द्वार खोलता है, अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के बारे में भी यही बात है।’’
राष्ट्र को सर्वोपरि रखने का आह्वान
युवाओं और नई पीढ़ी को आर्थिक राष्ट्रवाद अपनाने और राष्ट्र को सर्वोपरि रखने का आह्वान करते हुए उप राष्ट्रपति महोदय ने कहा, “मैं आपसे आग्रह करता हूं, आप कोई भी विकल्प चुनें,अपने राष्ट्र में विश्वास रखें, अपने राष्ट्रवाद में विश्वास रखें। यह आपकी बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि हमारे आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता हो रहा है, क्योंकि कुछ लोग राजकोषीय लाभ के बारे में अधिक चिंता करते हैं। कोई भी राजकोषीय लाभ आर्थिक राष्ट्रवाद के साथ समझौता करने को उचित नहीं ठहरा सकता।’’
स्वदेशी हमारा मूल मंत्र होना चाहिए
हमारे आयातों पर नज़र डालें जो अरबों में हैं उन्हें कम किया जा सकता है। युवा लड़के-लड़कियां और नई पीढ़ी आप दोनों ही इसका समाधान खोजने वाले वर्ग हैं। आप संकल्प ले सकते हैं, हम अपनी उद्यमिता के कारण अनावश्यक आयात में कटौती करेंगे। इसका तत्काल असर होगा। हम अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा बचाएंगे। हमारे लोगों को यहां हज़ारों और लाखों की संख्या में काम मिलेगा और उद्यमिता बढ़ेगी और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि जब आप अर्थव्यवस्था के बारे में सोचें, तो स्वदेशी के बारे में सोचें। स्वदेशी हमारा मूल मंत्र होना चाहिए।
बुनियादी ढांचा समाज की ज़रूरत
किसी भी संस्थान में बुनियादी ढांचे से ज़्यादा संकाय सदस्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए धनखड़ ने कहा, “एक संस्थान बुनियादी ढांचे से ज़्यादा उसके संकाय द्वारा परिभाषित होता है। बुनियादी ढांचा समाज की ज़रूरत है, संस्थान की ज़रूरत है लेकिन संकाय इसकी सुगंध है।’’
धन सृजनकर्ताओं को सम्मान देने की जरूरत
देश के धन सृजनकर्ताओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘‘मैंने हमेशा इस बात का समर्थन किया है कि जो लोग हमारे व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग में शामिल हैं, उन्हें व्यवस्था की मार महसूस नहीं होनी चाहिए। समाज में उनका सम्मान होना चाहिए। वे धन सृजनकर्ता हैं, वे रोजगार सृजनकर्ता हैं, वे अर्थव्यवस्था चालक गति देते हैं, वे सामाजिक सद्भाव में योगदान देते हैं और उन्होंने समाज को वापस देने की कला इस देश में सीखी है।’’
इस मौके पर जीजीएसआईपी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. महेश वर्मा, मेट्स के संस्थापक अध्यक्ष और सलाहकार डॉ. नंद किशोर गर्ग, मेट्स के अध्यक्ष विनीत कुमार लोहिया, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।