अमित शाह गुरुवार को सहकारिता मंत्रालय द्वारा 100 दिनों में की गई पहलों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन को करेंगे संबोधित
केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज (गुरुवार) नई दिल्ली के पूसा स्थित आईसीएआर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में सहकारिता मंत्रालय के 100 दिनों में किए गए परिवर्तनकारी पहलों की श्रृंखला का उद्घाटन करेंगे। सम्मेलन के मुख्य सत्र के दौरान गृह मंत्री अमित शाह “सहकार से समृद्धि” थीम के अंतर्गत मंत्रालय द्वारा “100 दिनों की पहल” का शुभारंभ करेंगे। सम्मेलन में 2,00,000 बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों की स्थापना, “सहकारी समितियों के बीच सहयोग” और “श्वेत क्रांति 2.0” पर तीन तकनीकी सत्र होंगे। यह शिखर सम्मेलन किसानों के लिए लाभकारी होगा क्योंकि इसमें ग्रामीण विकास और कृषि उत्पादकता बढ़ाने तथा दूध उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देने के अलावा उनकी आजीविका को स्थिर करने तथा उनके विकास के लिए अतिरिक्त आय स्रोत प्रदान करने के तरीकों की तलाश की जाएगी।
सहकारिता को मजबूत करने के लिए सरकार कर रही कई पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सरकार सभी स्तरों पर, विशेष रूप से जमीनी स्तर पर सहकारिता को मजबूत करने के लिए कई पहल कर रही है। पीएम मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन से प्रेरित होकर देश में सहकारिता आंदोलन स्थिरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है और यह हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पीएम मोदी के विजन को आगे बढ़ाते हुए, सहकारिता मंत्रालय के मार्गदर्शन में इफको इस साल के अंत में दिल्ली में आईसीए ग्लोबल कोऑपरेटिव कॉन्फ्रेंस 2024 की मेजबानी भी कर रहा है। सम्मेलन में सहकारिता के इर्द-गिर्द निर्मित दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं पर सहकारिता मंत्रालय द्वारा भविष्य की कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
290 मिलियन लोग सीधे तौर पर सहकारी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं
सहकारिता मंत्रालय ने एक बयान में बताया, आज 290 मिलियन लोग सीधे तौर पर सहकारी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जो इसके समुदाय-आधारित वित्तीय सुरक्षा और आजीविका के अवसरों से लाभान्वित हो रहे हैं। सम्मेलन में 2,00,000 बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (एमपीएसीएस) की स्थापना, “सहकारी समितियों के बीच सहयोग” और “श्वेत क्रांति 2.0” पर तीन तकनीकी सत्र होंगे।
मंत्रालय द्वारा NABARD, NDDB और NFDB के सहयोग से एक ‘मार्गदर्शिका’ तैयार की गई है
देश में लगभग 2.7 लाख ग्राम पंचायतें हैं, लेकिन कई पंचायतें अभी भी PACS, डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियों द्वारा कवर की जानी हैं। देश के समग्र और संतुलित विकास में इन प्राथमिक स्तर की सहकारी समितियों द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, भारत सरकार ने देश में कवर न की गई ग्राम पंचायतों में नई बहुउद्देशीय PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के गठन की योजना को मंजूरी दी है। समयबद्ध तरीके से इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय द्वारा NABARD, NDDB और NFDB के सहयोग से एक ‘मार्गदर्शिका’ तैयार की गई है।
क्या है “श्वेत क्रांति 2.0” पहल का उद्देश्य ?
आपको बता दें कि “श्वेत क्रांति 2.0” पहल का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना, रोजगार पैदा करना और सहकारी कवरेज का विस्तार करना है। यह अनुमान है कि डेयरी सहकारी समितियाँ पाँचवें वर्ष के अंत तक प्रतिदिन 1,000 लाख किलोग्राम दूध खरीदेंगी, जिससे ग्रामीण उत्पादकों की आजीविका में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह पहल अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) के साथ-साथ पशुपालन और डेयरी विभाग की प्रस्तावित योजना एनपीडीडी 2.0 सहित मौजूदा कार्यक्रमों का लाभ उठाएगी।
2029 तक 47,248, 56,500 नए बहुउद्देशीय डेयरी सहकारी समितियां स्थापित करने का है लक्ष्य
दरअसल सहकारिता मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में 70,000 नए बहुउद्देशीय PACS – 2026 तक 22,752 और 2029 तक 47,248, 56,500 नए बहुउद्देशीय डेयरी सहकारी समितियों (MDCS) और 6,000 नए मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, 46,500 मौजूदा डेयरी सहकारी समितियों और लगभग 5,500 मौजूदा मत्स्य सहकारी समितियों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) आदि सहित मौजूदा केंद्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से मजबूत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकारें 25,000 नए PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों का गठन करके योगदान देंगी। पंचायत या गांव के स्तर पर आसान ऋण और अन्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
किसानों के लिए लाभकारी होगा होगा सम्मेलन
यह शिखर सम्मेलन किसानों के लिए लाभकारी होगा क्योंकि इसमें ग्रामीण विकास और कृषि उत्पादकता बढ़ाने तथा दूध उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देने के अलावा उनकी आजीविका को स्थिर करने तथा उनके विकास के लिए अतिरिक्त आय स्रोत प्रदान करने के तरीकों की तलाश की जाएगी। यह एक दिवसीय शिखर सम्मेलन इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने, सहयोगी समाधानों को बढ़ावा देने तथा पूरे देश में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।