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सरकार ने PM-PRANAM पहल को दी मंजूरी, जैविक और प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा

सरकार ने PM-PRANAM पहल को दी मंजूरी, जैविक और प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा
  • PublishedJuly 31, 2024

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में पीएम-प्रणाम पहल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 28 जून, 2023 को “धरती-माँ की रिस्टोरेशन, जागरूकता सृजन, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम (PM-PRANAM)” को मंजूरी दे दी है। पीएम-प्रणाम पहल का उद्देश्य उर्वरकों के स्थायी और संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाना और जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए धरती माता के स्वास्थ्य को बचाने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों में सहयोग करना है।

बता दें, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023 में वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए “पीएम प्रणाम योजना” शुरू करने की घोषणा की थी। अपने भाषण में सीतारमण ने कहा था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैकल्पिक उर्वरकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु ‘मातृ पृथ्वी के पुनरुद्धार, जागरूकता, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम’ (पीएम प्रणाम) शुरू किया जाएगा। सीतारमण ने यह भी कहा था कि अगले 3 वर्षों में हम 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने में मदद करेंगे। इसके लिए 10,000 बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर वितरित सूक्ष्म-उर्वरक और कीटनाशक निर्माण नेटवर्क तैयार होगा।

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने कल एक बयान में कहा कि पीएम-प्रणाम पहल का उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा शुरू किए गए प्रयासों को बल प्रदान करना है। धरती माता के स्वास्थ्य को बचाने के लिए इन प्रयासों में उर्वरकों के टिकाऊ और संतुलित उपयोग को बढ़ावा, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाना, जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना आदि शामिल है।

मंत्रालय ने बताया, सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश पीएम-प्रणाम के अंतर्गत आते हैं। गौरतलब है कि इस योजना के तहत पिछले तीन वर्षों की औसत खपत की तुलना में रासायनिक उर्वरकों (यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी) की खपत में कमी के माध्यम से एक विशेष वित्तीय वर्ष में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा उर्वरक सब्सिडी का 50% बचाया जाएगा और अनुदान के रूप में उस राज्य/यूटी को दिया जाएगा। राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश इस अनुदान का उपयोग किसानों सहित राज्य के लोगों के लाभ के लिए कर सकते हैं।