प्रधानमंत्री मोदी ने लद्दाख में कारगिल युद्ध के वीरों को श्रद्धांजलि की अर्पित
आज 25वां कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (शुक्रवार) द्रास (लद्दाख) में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले देश के रणबांकुरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को नमन किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिनखुन ला सुरंग के निर्माण कार्य की शुरुआत की।
शिंकुन ला सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग शामिल है जिसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर करीब 15,800 फुट की ऊंचाई पर होगा। इससे लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी मिलेगी। यह विश्व की सर्वाधिक ऊंची सुरंग होगी। यह न सिर्फ सशस्त्र बलों व उपकरणों की शीघ्र आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक-सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी।
26 जुलाई यानी आज के दिन मनाया जाने वाला कारगिल विजय दिवस भारत के सैन्य इतिहास में एक गौरवशाली दिन है। कारगिल वह क्षेत्र है जहां भारत और पाकिस्तान की सेना ने युद्ध लड़ा और पड़ोसी देश के कब्जे से कारगिल द्रास क्षेत्र को आजाद कराया। 25वें कारगिल विजय दिवस 2024 पर आज प्रधानमंत्री मोदी ने कारगिल युद्ध स्मारक पर कारगिल युद्ध के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने कारगिल में कारगिल युद्ध स्मारक का दौरा किया।
इस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ विजय गाथा लिखी। भारत-पाकिस्तान की इस सैन्य जंग को इतिहास में विजय के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है और हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत वीर सैनिकों के साहस और बलिदान को याद करता है जिन्होंने देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा की।
1999 में भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच कारगिल युद्ध हुआ था। कारगिल युद्ध भारतीय सेना की विजय का प्रतीक है। कारगिल युद्ध मई से जुलाई 1999 के बीच भारतीय और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच लड़ा गया । यह युद्ध जम्मू-कश्मीर राज्य के कारगिल जिले में हुआ। 1999 की शुरुआत में पाकिस्तान के सैनिकों ने गुप्त रूप से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। इस युद्ध में भारत ने भी अपने कई वीर योद्धाओं को खोया और उनका सर्वोच्च बलिदान देश के लिए एक मिसाल बन गया।