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आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान

आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान
  • PublishedJuly 22, 2024

केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को वित्त वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण लोकसभा में पेश किया। इस आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। आर्थिक सर्वेक्षण में जोखिम को संतुलित रखा गया है।

वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार और मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज, अर्थव्यवस्था की स्थिति और 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के विभिन्न संकेतकों और चालू वर्ष के लिए कुछ दृष्टिकोण की जानकारी देता है।

भारतीय वित्तीय क्षेत्र का आउटलुक उज्‍ज्वल रहेगा

संसद में सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने व्यवस्थित तरीके से सुधार किया है। यह इससे स्पष्ट होता है कि 2023-24 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) महामारी-पूर्व 2019-20 के स्तर से 20 प्रतिशत अधिक है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र का आउटलुक उज्‍ज्वल रहेगा। सर्वेक्षण के मुताबिक पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला है।

मजबूत विकास संभावनाएं

सर्वेक्षण दस्तावेज के अनुसार, यह ऐसी उपलब्धि है जो केवल बहुत कम प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने हासिल की है। आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि “वित्त वर्ष 2025 में भू-राजनीतिक, वित्तीय बाजार और जलवायु जोखिमों के अधीन, मजबूत विकास की संभावनाएं अच्छी दिख रही हैं।”

2023 में वैश्विक आर्थिक विकास 3.2% रहा

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा इस वर्ष अप्रैल में प्रकाशित विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुसार 2023 में वैश्विक आर्थिक विकास 3.2 प्रतिशत रहा है। देशों के बीच विकास के अलग-अलग पैटर्न सामने आए हैं। देशों के विकास प्रदर्शन में भारी अंतर घरेलू संरचनात्मक मुद्दों, भू-राजनीतिक संघर्षों के असमान जोखिम और मौद्रिक नीति में सख्ती के प्रभाव के कारण रहा है।

भारत की वास्तविक जीडीपी में 8.2% की वृद्धि

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में बनी गति को 2023-24 में भी जारी रखा, जबकि कई बाहरी चुनौतियां थीं। 2023-24 में भारत की वास्तविक जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2023-24 की चार तिमाहियों में से तीन में 8 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गई।

पूंजी निर्माण वृद्धि को दिया बढ़ावा

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि “समष्टि आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने से यह सुनिश्चित हुआ कि बाहरी चुनौतियों का भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़े।” इसमें कहा गया है कि पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति ने पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा दिया है। 2023-24 में सकल स्थायी पूंजी निर्माण में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

स्वस्थ कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट निजी निवेश को करेंगे और मजबूत

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि आगे बढ़ते हुए, स्वस्थ कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट निजी निवेश को और मजबूत करेंगे। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि “आवासीय रियल एस्टेट बाजार में सकारात्मक रुझान संकेत देते हैं कि घरेलू क्षेत्र में पूंजी निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।”

खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में घटकर 5.4 प्रतिशत हो गई

वैश्विक संकटों, आपूर्ति शृंखला में व्यवधानों और मानसून की अनिश्चितताओं से उत्पन्न मुद्रास्फीति के दबावों को प्रशासनिक और मौद्रिक नीति प्रतिक्रियाओं द्वारा कुशलतापूर्वक प्रबंधित किया गया है। परिणामस्वरूप, 2022-23 में औसतन 6.7 प्रतिशत के बाद, खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में घटकर 5.4 प्रतिशत हो गई।

सरकार के राजकोषीय संतुलन में हुआ सुधार

“सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के बावजूद सामान्य सरकार के राजकोषीय संतुलन में उत्तरोत्तर सुधार हुआ है। प्रक्रियात्मक सुधारों, व्यय संयम और बढ़ते डिजिटलीकरण द्वारा संचालित कर अनुपालन लाभ ने भारत को यह बढ़िया संतुलन हासिल करने में मदद की।”

मजबूत रहा सेवा निर्यात

माल की कम वैश्विक मांग के कारण बाहरी संतुलन पर दबाव पड़ा है, लेकिन मजबूत सेवा निर्यात ने इसे काफी हद तक संतुलित कर दिया है।

चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत रहा

परिणामस्वरूप, चालू खाता घाटा (CAD) 2023-24 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत रहा, जो 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद के 2.0 प्रतिशत घाटे से बेहतर है।

क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण ?

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत किया जाने वाला वार्षिक दस्तावेज है, जिसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति की निष्पक्ष समीक्षा होती है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक संभाग द्वारा इकोनॉमिक सर्वेक्षण तैयार किया जाता है। इसे देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार की देख-रेख में तैयार किया जाता है।

वित्त मंत्रालय के जारी बयान के मुताबिक भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को नेशनल मीडिया सेंटर में 2.30 बजे संबोधित करेंगे।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानी मंगलवार को संसद में 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं। इस बजट प्रस्तुति के साथ, वित्त मंत्री सीतारमण पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देंगी, जिन्होंने वित्त मंत्री के रूप में 1959 और 1964 के बीच पांच वार्षिक बजट और एक अंतरिम बजट पेश किया था। कल मंगलवार का बजट भाषण वित्त मंत्री सीतारमण का ऐतिहासिक 7वां भाषण होगा। (इनपुट-हिंदुस्थान समाचार)