गंगा के निरंतर जल प्रवाह के लिए जल शक्ति मंत्रालय का E-flows Monitoring System शुरू
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने गुरुवार को नई दिल्ली में नमामि गंगे मिशन परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। बैठक के दौरान पर्यावरणीय प्रवाह निगरानी प्रणाली जारी की गयी। इसे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने विकसित किया है। बता दें, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर.पाटिल ने कल गुरुवार को जल शक्ति मंत्रालय का कार्यभार संभाला, इसके तुरंत बाद नई दिल्ली में नमामि गंगे मिशन परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। बैठक के दौरान पाटिल ने भी जारी परियोजनाओं को पूरा करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चुनौतियों से निपटने के लिए नये समाधानों की आवश्यकता है।
जल शक्ति मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने नमामि गंगे मिशन परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की, इस दौरान गंगा के निरंतर और सतत प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए ई-प्रवाह निगरानी प्रणाली शुरू की गई है। ई-प्रवाह निगरानी प्रणाली प्रयाग पोर्टल (PRAYAG Portal) का एक अभिन्न अंग है, जो परियोजनाओं की योजना और निगरानी, नदी जल की गुणवत्ता और अन्य महत्वपूर्ण मापदंडों के लिए एक वास्तविक समय निगरानी केंद्र है। इस पोर्टल में गंगा तरंग पोर्टल, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टूल डैशबोर्ड और गंगा जिला प्रदर्शन निगरानी प्रणाली जैसे ऑनलाइन डैशबोर्ड शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री पाटिल ने कहा कि यह मंच गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियों की जल गुणवत्ता के वास्तविक समय के विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है और केंद्रीय स्तर पर नमामि गंगे कार्यक्रम की गतिविधियों की निगरानी करता है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के प्रदर्शन की निगरानी ऑनलाइन सतत प्रवाह निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) के माध्यम से की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) अपनी निर्धारित क्षमता पर काम करते हैं। विभिन्न स्थानों पर नदी जल की गुणवत्ता की भी निगरानी की जाती है।
गौरतलब है, ई-फ्लो निगरानी प्रणाली (E-flows Monitoring System) का शुभारंभ गंगा नदी के निरंतर और सतत प्रवाह को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय जल आयोग की त्रैमासिक रिपोर्टों के डेटा का उपयोग करते हुए, सिस्टम गंगा मुख्य धारा के साथ 11 परियोजनाओं में इन-फ्लो, आउट-फ्लो और अनिवार्य ई-फ्लो जैसे प्रमुख मापदंडों की निगरानी करेगा।
दरअसल भारत सरकार ने 9 अक्टूबर 2018 की अपनी राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से, गंगा नदी के विभिन्न हिस्सों के लिए वर्ष भर न्यूनतम ई-प्रवाह बनाए रखना अनिवार्य कर दिया। उसी अधिसूचना में, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने नदी के इको-संतुलन को संरक्षित करने, जलीय जीवन की सुरक्षा करने और विभिन्न जल उपयोग मांगों के बीच स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रवाह विनिर्देश निर्धारित किए। ऊपरी गंगा बेसिन से लेकर इसके संगमों और उससे आगे तक, ई-प्रवाह मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपाय किए गए हैं, जिससे वर्तमान और भविष्य की, दोनों परियोजनाओं को लाभ होगा। निगरानी और नियामक तंत्र के साथ, गंगा के इको-बैलेंस को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा रहा है।