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स्टील इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए रांची में शुरू हुआ 2 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

स्टील इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए रांची में शुरू हुआ 2 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
  • PublishedMay 31, 2024

भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के तत्वावधान में मेकॉन लिमिटेड और सेल साथ मिलकर 30 और 31 मई को रांची में इस्पात पर एक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहे है, जिसका फोकस पूंजीगत वस्तुओं पर है। इस सम्मेलन का उद्देश्य इस्पात उद्योग के प्रतिभाशाली लोगों और अग्रणी स्टेकहोल्डर्स को एक साथ लाना है, जिसमें प्रौद्योगिकी प्रदाता, इस्पात उत्पादक, निर्माता, शिक्षाविद और अन्य लोग शामिल हैं, ताकि नई साझेदारी को बढ़ावा दिया जा सके, नवीन समाधान तलाशे जा सकें और इस्पात उद्योग के भविष्य को आगे बढ़ाया जा सके।

इस्पात मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने विशेष संबोधन में कहा कि आज भारत में स्थापित की जा रही इस्पात परियोजनाओं के लिए सावधानीपूर्वक परियोजना नियोजन और समय पर क्रियान्वयन सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गया है। हमें इस्पात परियोजनाओं को सुदृढ़ बनाए रखने और उनकी दीर्घकालिक स्थिरता के लिए अपनी परियोजनाओं को समय पर क्रियान्वित करने के नवोन्मेषी उपाय खोजने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारी उद्योग क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए कार्य करने के नए तरीकों, नए विचारों और नई प्रतिभाओं को शामिल करना चाहिए।

इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव अभिजीत नरेंद्र ने कहा कि भारत इस्पात उत्पादन में दूसरे स्थान पर हैं, लेकिन स्टील इंडस्ट्री के लिए मशीनरी बनाने में हमारी सीमाएँ हैं। उन्होंने सभी हितधारकों को शामिल करने वाले इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया।

मेकॉन के सीएमडी संजय कुमार वर्मा ने राष्ट्रीय इस्पात नीति (NSP)-2017 के बारे में बात की और आगे बताया कि 300 एमटी स्टील क्षमता तक पहुंचने के नीति लक्ष्य के अनुसार, अगले 7-8 वर्षों में लगभग 138-139 एमटी टन नई क्षमता जुड़ने का अनुमान है। इसमें भारतीय इस्पात उद्योग से 120-130 अरब अमेरिकी डॉलर का भारी निवेश शामिल है। इस्पात संयंत्र के लगभग 15-20 प्रतिशत उपकरणों के विदेशों से आयात होने की संभावना है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए, जहां मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने के साथ आयात सामग्री और मूल्य बढ़ जाता है, लगभग 18-20 अरब डॉलर मूल्य के आयातित उपकरण विदेशों से मंगाए जाने की संभावना है, इसके अलावा स्पेयर पार्टस भी हैं, जिसमें लगभग 400-500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च है।

घरेलू विनिर्माण (डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग) को मजबूत करने के लिए, भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण या अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी प्रदाता जैसी रणनीतियों का पता लगाना महत्वपूर्ण है।

उल्लेखनीय है, सम्मेलन के पहले दिन 4 तकनीकी सत्र- कोक बनाने की तकनीक में रुझान और चुनौतियां, एग्लोमरेशन तकनीक में रुझान और चुनौतियां, लौह निर्माण की तकनीक से संबंधित रुझान और चुनौतियां और इस्पात बनाने की तकनीक में रुझान और चुनौतियां का आयोजन किया गया।