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भारत का वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी को 5 गुना बढ़ाने का लक्ष्य : डॉ. जितेंद्र सिंह

भारत का वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी को 5 गुना बढ़ाने का लक्ष्य : डॉ. जितेंद्र सिंह
  • PublishedMarch 6, 2024

केंद्रीय विज्ञान, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री ने मंगलवार को अहमदाबाद में इन-स्पेस (आईएन-एसपीएसीई) के तकनीकी केंद्र का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सभा को संबोधित करते डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को पांच गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस क्षेत्र को “गोपनीयता के पर्दे” से “बाहर निकालने” के साहसी निर्णय के बाद ही संभव हो पाई है”।

केंद्रीय विज्ञान, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री ने मंगलवार को अहमदाबाद में इन-स्पेस (आईएन-एसपीएसीई) के तकनीकी केंद्र का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सभा को संबोधित करते डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को पांच गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस क्षेत्र को “गोपनीयता के पर्दे” से “बाहर निकालने” के साहसी निर्णय के बाद ही संभव हो पाई है”। जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी वस्तुतः हर व्यक्ति के जीवन को छू रही है।

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2040 तक कई गुना बढ़ जाएगी

केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री अहमदाबाद में इन-स्पेस (आईएन-एसपीएसीई) के तकनीकी केंद्र का शुभारंभ करने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आज मात्र 8 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर की है, लेकिन हमारा अपना अनुमान है कि 2040 तक यह कई गुना बढ़ जाएगी। लेकिन उदाहरण के लिए अधिक रोचक बात यह है कि कुछ अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के अनुसार हाल में ही जारी एडीएल (आर्थर डी लिटिल) रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि हमारे पास 2040 तक 100 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर डॉलर की क्षमता हो सकती है”।

उन्होंने कहा कि “भले ही देश में प्रतिभा की कभी कमी नहीं थी, लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में सक्षम वातावरण की लापता कड़ी को फिर से जोड़ा गया और अब अंतरिक्ष क्षेत्र के खुलने के साथ ही, आम जनता चंद्रयान-3 या आदित्य जैसे मेगा अंतरिक्ष कार्यक्रमों के प्रक्षेपण को देखने में सक्षम हुई है”।

भारत के पास 200 निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप्स

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चार-पांच साल पहले, हमारे पास अंतरिक्ष क्षेत्र में सिर्फ एक अंक के स्टार्टअप थे, आज इस क्षेत्र के खुलने के बाद हमारे पास लगभग 200 निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप्स हैं, जबकि उनमें से पहले वाले उद्यमी भी बन गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि जारी वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर 2023 तक निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप्स द्वारा 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है।

पीएम मोदी ने अंतरिक्ष बजट कई गुना बढ़ाया

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भले ही हमारा अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम वर्ष 1969 में उस समय शुरू हुआ था, जिस वर्ष अमेरिका ने चंद्रमा पर पहले मानव को उतारा था, फिर भी हम तेजी से अंतरिक्ष के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले देशों के बराबर पहुंच गए और पिछले साल चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के अछूते दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर ऐतिहासिक लैंडिंग की जहां पहले कोई नहीं उतरा था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष बजट कई गुना बढ़ा दिया और अंतरिक्ष क्षेत्र को खोल दिया है।

विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से 17 करोड़ 40 लाख अमेरिकी डॉलर कमाए

देश के अंतरिक्ष सेक्टर में प्राप्त उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि “ 1990 के दशक से इसरो द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए 424 विदेशी उपग्रहों में से 90 प्रतिशत से अधिक – 389 पिछले नौ वर्षों में प्रक्षेपित (लॉन्च) किए गए हैं।” उन्होंने कहा कि हमने अब तक विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से 17 करोड़ 40 लाख अमेरिकी डॉलर कमाए हैं, इन 17 करोड़ 40 लाख अमेरिकी डॉलर में से 15 करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर पिछले नौ वर्षों में ही कमाए गए हैं।

45 समझौता ज्ञापनों पर हुए हस्ताक्षर

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, इन-स्पेस (आईएन- एसपीएसीई) ने ऐसे गैर-सरकारी संस्थाओं (नॉन-गवर्नमेंट एंटिटीज- एनजीईएस) द्वारा परिकल्पित अंतरिक्ष प्रणालियों और अनुप्रयोगों को साकार करने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए ऐसे एनजीईएस के साथ लगभग 45 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे प्रक्षेपण वाहनों (लॉन्च वेहिकल्स) और उपग्रहों के निर्माण में उद्योग की भागीदारी बढ़ने की बड़ी सम्भावना है।

भारत की अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी वस्तुतः हर व्यक्ति के जीवन को छू रही है

सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री ने आगे कहा कि भारत की अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी वस्तुतः हर व्यक्ति के जीवन को छू रही है, जिसमें आपदा प्रबंधन, स्वामित्व, पीएम गति शक्ति, रेलवे, राजमार्ग और स्मार्ट शहर, कृषि, जल मानचित्रण, टेलीमेडिसिन और रोबोट द्वारा शल्य चिकित्सा जैसे बुनियादी ढांचे जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ)” वैज्ञानिक अनुसंधान में एक बड़े सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का मार्ग प्रशस्त करेगा, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एनआरएफ संयुक्त राज्य अमेरिका के एनआरएफ से बेहतर मॉडल होगा।