जम्मू-कश्मीर में मोबाइल खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला, फूड सेफ्टी वैन ऑन व्हील्स आज से काम करना शुरू कर देंगी
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मोबाइल खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला, फूड सेफ्टी वैन ऑन व्हील्स आज (1 मार्च) से काम करना शुरू कर देंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह इन मोबाइल प्रयोगशालाओं का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया था।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मोबाइल खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला, फूड सेफ्टी वैन ऑन व्हील्स आज (1 मार्च) से काम करना शुरू कर देंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह इन मोबाइल प्रयोगशालाओं का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया था। कुल 6 मोबाइल प्रयोगशालाओं में से दो श्रीनगर और जम्मू तथा बाकी चार शोपियां, पुलवामा, गांदरबल, बांदीपोरा जिलों और जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा, रियासी और उधमपुर जिलों को कवर करेंगी।
बता दें कि ये प्रयोगशालाएं माइक्रोबायोलॉजिकल सेटिंग्स, जीपीएस ट्रैकिंग, ऑडियो-विजुअल इंस्टॉलेशन और सूक्ष्म स्तर पर ऑन-साइट परीक्षण करने की क्षमता जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं।
ज्ञात हो कि खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है साथ ही उपभोक्ताओं के बीच यह विश्वास पैदा करने के लिए भोजन का परीक्षण करना कि भोजन खाने के लिए सुरक्षित है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में अधिक खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है, इसने उपभोक्ताओं तक पहुँचने के लिए खाद्य परीक्षण के लिए मोबाइल इकाइयाँ प्रदान करने की एक योजना भी शुरू की है। इन मोबाइल इकाइयों को “फ़ूड सेफ्टी ऑन व्हील्स” कहा जाता है।
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी देश को मौलिक रूप से रूपान्तरित करने और लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गौरतलब है कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन में कई गरीब समर्थक नीतियां और योजनाएं आरंभ की गईं और हर क्षेत्र में इसके स्पष्ट और गौर करने योग्य परिणाम प्राप्त हुए हैं।
बता दें कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 60 फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स (एफएसडब्ल्यू) और 294 संशोधित फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स उपलब्ध कराए गए हैं। इससे न केवल दूरदराज के इलाकों में खाद्य परीक्षण बुनियादी ढांचे की कमी के मुद्दे का समाधान होगा, बल्कि उपभोक्ताओं की बुनियादी विश्लेषणात्मक जरूरतों को भी पूरा किया जाएगा, साथ ही जागरूकता फैलाई जाएगी और भोजन के विभिन्न पहलुओं पर आम जनता और सड़क विक्रेताओं सहित खाद्य व्यवसाय संचालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
यह उम्मीद की जा सकती है कि समय बीतने के साथ, इन मोबाइल इकाइयों, ‘फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स’ के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाएँ सभी हितधारकों, अर्थात् नागरिकों, उपभोक्ताओं, खाद्य व्यवसायों और खाद्य सुरक्षा विभागों के क्षेत्रीय पदाधिकारियों के बीच लोकप्रिय हो जाएंगी। इससे देश में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में आमूल-चूल बदलाव लाने में मदद मिलेगी।