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वीर सावरकर की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, कहा-देश हमेशा याद रखेगा

वीर सावरकर की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, कहा-देश हमेशा याद रखेगा
  • PublishedFebruary 26, 2024

वीर सावरकर देश के पहले ऐसे क्रांतिकारी हैं, जिन्हें दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई, विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी घटना थी

पीएम मोदी ने स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर को याद किया। वीर सावरकर की पुण्य स्मृति पर उन्हें याद करते हुए कहा-वीर सावरकर को देश हमेशा याद रखेगा। पीएम मोदी ने आज सुबह अपने एक्स हैंडल पर लिखा, ”वीर सावरकर को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि। भारत देश की स्वतंत्रता और अखंडता के लिए उनकी वीरता और अटूट समर्पण को हमेशा याद रखेगा। उनका योगदान हमें अपने देश के विकास और समृद्धि के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।”

सावरकर का संक्षिप्त परिचय
उनका जन्म महाराष्ट्र प्रांत के पुणे जिला अंतर्गत भागुर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था। उनकी माता का नाम राधाबाई और पिता का नाम दामोदर पंत सावरकर था। इनके दो भाई और एक बहन थीं। महाविद्यालयीन पढ़ाई के बाद वकालत पढ़ने लंदन चले गये।

सावरकर ने लंदन के लॉ कॉलेज में प्रवेश लेने के बाद इण्डिया हाउस में रहना आरम्भ कर दिया था। इण्डिया हाउस उस समय राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया था, जिसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी चला रहे थे। वहां रहते हुए सावरकर जी के उन सभी लोगों से संपर्क बढ़ गये जो मन ही मन भारतीय स्वतंत्रता के पक्षधर रहे। मई 1909 में उन्होंने लंदन से बार एट लाॅ परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन उन्हें वकालत करने की अनुमति नहीं मिली। इसका कारण यह था कि सावरकर ने ब्रिटिश क्राउन के प्रति वफादारी की शपथ लेने से इनकार कर दिया था।

दो आजन्म कारावास की सजा
वीर सावरकर देश के पहले ऐसे क्रांतिकारी हैं, जिन्हें दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई, विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी घटना थी। अंडमान की जेल में रखा गया। इसे कालापानी की सजा के तौर पर याद किया जाता है। वीर सावरकर को कोल्हू में बैल की जगह उन्हें लगाकर कठोर यातनाएं दी गईं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने खुद को राजनीति से दूर रखते हुए समाज जागरण और पतितोद्धार के कार्यों में समर्पित कर दिया। अधिवक्ता, क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, विचारक, लेखक और समाज सुधारक वीर सावरकर का 26 फरवरी 1966 को निधन हो गया ।