भ्रामक मार्केटिंग पर लगाम के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी
ग्रीनवॉशिंग विज्ञापन या मार्केटिंग का एक ऐसा रूप है जिसमें लोगों को भ्रामक रूप से यह समझाने की कोशिश की जाती है कि किसी संगठन के उत्पाद, उद्देश्य और नीतियां पर्यावरण के अनुकूल हैं।
ग्रीनवॉशिंग की रोकथाम और विनियमन के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इन्हें लेकर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने लोगों से राय भी मांगी है।
क्या है ग्रीनवॉशिंग ?
बताना चाहेंगे ग्रीनवॉशिंग विज्ञापन या मार्केटिंग का एक ऐसा रूप है जिसमें लोगों को भ्रामक रूप से यह समझाने की कोशिश की जाती है कि किसी संगठन के उत्पाद, उद्देश्य और नीतियां पर्यावरण के अनुकूल हैं। यानी ग्रीनवॉशिंग से कंपनियां अपने उत्पादों, सेवाओं या संचालन के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में झूठे या भ्रामक दावे करती हैं।
क्या कहते हैं दिशानिर्देश ?
जारी किए गए दिशानिर्देशों के मुताबिक हरित दावे करने वाली कंपनी को अब बहुत कुछ बताना अनिवार्य होगा। इसके तहत अपने दावों में सभी जरूरी जानकारी देनी होगी। कंपनी केवल दावे के पक्ष के तथ्य ही नहीं बल्कि प्रतिकूल तथ्य भी सामने रखेगी। दावे का दायरा भी बताना होगा यानी की दावा उत्पादों, विनिर्माण प्रक्रियाओं, पैकेजिंग, उत्पाद उपयोग, निपटान, सेवाओं या सेवा प्रावधान प्रक्रियाओं से संबंधित में से किस से संबंधित है।
सभी दावों के पीछे होने चाहिए वैज्ञानिक प्रमाण
सभी दावों के पीछे वैज्ञानिक प्रमाण होने चाहिए। तुलनात्मक पर्यावरणीय दावे सत्यापन योग्य और प्रासंगिक डेटा पर आधारित होने चाहिए। दावे किसी तीसरे पक्ष की ओर से भी सत्यापित होने चाहिए। दिशानिर्देश के तहत संभावित या भविष्यवादी पर्यावरणीय दावे केवल तभी किए जा सकते हैं जब स्पष्ट और कार्रवाई योग्य योजनाएं विकसित की गई हों कि उन उद्देश्यों को कैसे प्राप्त किया जाएगा।
दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने के लिए समिति की तीन बैठकें की गईं आयोजित
उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए) ने पिछले साल 2 नवंबर को ग्रीनवॉशिंग पर परामर्श के लिए हितधारकों की एक समिति का गठन किया था। ग्रीनवॉशिंग की रोकथाम और विनियमन के लिए मसौदा दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने के लिए समिति की तीन बैठकें आयोजित की गईं। अंतिम बैठक 10 जनवरी को हुई थी।