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देश के विभिन्‍न भागों में श्रद्धा, आस्‍था और उल्‍लास से मनाई जा रही वसंत पंचमी

देश के विभिन्‍न भागों में श्रद्धा, आस्‍था और उल्‍लास से मनाई जा रही वसंत पंचमी
  • PublishedFebruary 14, 2024

इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देशवासियों को वसंत पंचमी की बधाई दी है। एक सोशल मीडिया पोस्‍ट में उन्होंने आशा व्यक्त की कि श्रद्धा और समर्पण का यह उत्‍सव लोगों के जीवन में प्रसन्नता और समृद्धि लाएगा। उन्होंने मां सरस्वती से हर एक के जीवन में ज्ञान और विवेक के आलोक की प्रार्थना की।

देश के विभिन्न भागों में आज बुधवार को श्रद्धा, आस्था और उल्लास से वसंत पंचमी मनाई जा रही है। माघ शुक्ल पंचमी के इस अवसर पर ज्ञान, विवेक और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है।

उल्लेखनीय है कि कडकड़ाती ठंड के बाद वसंत ऋतु में प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। पलाश के लाल फूल, आम के पेड़ों पर आए बौर, हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को सुहाना बना देती है। यह ऋतु सेहत की दृष्टि से भी बहुत अच्छी मानी जाती है। मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों में नई चेतना का संचार होता है।

राष्ट्रपति ने देशवासियों को वसंत पंचमी की दी बधाई

इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देशवासियों को वसंत पंचमी की बधाई दी है। एक सोशल मीडिया पोस्‍ट में उन्होंने आशा व्यक्त की कि श्रद्धा और समर्पण का यह उत्‍सव लोगों के जीवन में प्रसन्नता और समृद्धि लाएगा। उन्होंने मां सरस्वती से हर एक के जीवन में ज्ञान और विवेक के आलोक की प्रार्थना की।

पीएम मोदी ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा देशभर के मेरे परिवारजनों को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की अनंत शुभकामनाएं।

कब होता है वसंत ऋतु का आगमन ?

बताना चाहेंगे देश में पतझड़ के बाद वसंत ऋतु का आगमन होता है। हर तरफ रंग-बिरंगें फूल खिले दिखाई देते हैं। इस समय गेहूं की बालियां भी पक कर लहराने लगती हैं। सुहाना मौसम मन को प्रसन्नता से भर देता है। वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज भी कहा जाता है।

किन देवी-देवताओं की होती है पूजा ?

हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु, कामदेव तथा रति की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन ब्रह्माण्ड के रचयिता ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी की रचना की थी। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा भी की जाती है।

‘वसंत’ का क्या है अर्थ ?

‘वसंत’ का अर्थ है वसंत और पंचमी का पांचवां दिन। इसलिए माघ महीने में जब वसंत ऋतु का आगमन होता है तो इस महीने के पांचवें दिन यानी पंचमी को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है। जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत और कला की देवी कहा जाता है, उनका अवतरण इसी दिन हुआ था और यही कारण है कि भक्त इस शुभ दिन पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। साथ ही इसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

वसंत पंचमी का दिन क्यों अत्यंत शुभ मुहूर्त ?

केवल इतना ही नहीं सभी शुभ कार्यों के लिए वसंत पंचमी के दिन अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। दरअसल इसके पीछे अनेक कारण हैं। यह पर्व अधिकतर माघ मास में ही पड़ता है। माघ मास का भी धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इस माह में पवित्र तीर्थों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसलिए आज के दिन देश में विभिन्न स्थानों पर गंगा स्नान किया जा रहा है।

इस समय सूर्यदेव होते हैं उत्तरायण

दूसरा, इस समय सूर्यदेव भी उत्तरायण होते हैं। इसलिए प्राचीन काल से वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है अथवा कह सकते हैं कि इस दिन को सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।

वसंत पंचमी का दिन सरस्वती जी की साधना को अर्पित ज्ञान का महापर्व

वसंत पंचमी का दिन सरस्वती जी की साधना को अर्पित ज्ञान का महापर्व है। शास्त्रों में भगवती सरस्वती की आराधना करने का विधान है। मां सरस्वती का प्रिय रंग पीला बताया जाता है। इसलिए उनकी मूर्तियों को पीले वस्त्र, फूल पहनाए जाते हैं। देश में लोग वसंत पंचमी पर पीले कपड़े पहन कर विद्या की देवी मा सरस्वती कि वंदना मंत्र का उच्चारण कर उनकी पूजा करते हैं। ग्रंथों के अनुसार ऋग्वेद में सरस्वती देवी के असीम प्रभाव व महिमा का वर्णन है। मां सरस्वती विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। कहते हैं जिनकी जिव्हा पर सरस्वती देवी का वास होता है। वे अत्यंत ही विद्वान व कुशाग्र बुद्धि होते हैं।

वसंत में होता है हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ

माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम मास है और चैत्र पहला। इस प्रकार हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत में ही होता है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है। मौसम सुहावना हो जाता है। पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं। सरसों के फूलों से भरे खेत पीले दिखाई देते हैं। अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।

समशीतोष्ण वातावरण के प्रारंभ होने का संकेत

वसंत पंचमी का दिन भारतीय मौसम विज्ञान के अनुसार समशीतोष्ण वातावरण के प्रारंभ होने का संकेत है। मकर सक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण प्रस्थान के बाद शरद ऋतु की समाप्ति होती है। हालांकि विश्व में बदलते मौसम ने मौसम चक्र को बिगाड़ दिया है। हमारी संस्कृति के अनुसार पर्वों का विभाजन मौसम के अनुसार ही होता है।

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। देश के कई स्थानों पर पवित्र नदियों के तट और तीर्थ स्थानों पर बसंत मेला भी लगता है। राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में तो बसंत पंचमी के दिन से ही लोग समूह में एकत्रित होकर रात में चंग ढफ बजाकर धमाल गाकर होली के पर्व का शुभारम्भ करते है। वहीं वसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में भी देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। भारत के पूर्वी प्रांतों में घरों में भी विद्या की देवी सरस्वती की मूर्ति की स्थापना की जाती है और वसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा की जाती है।

विद्यार्थी, लेखक और कलाकार करते हैं देवी सरस्वती की उपासना

देवी सरस्वती को ज्ञान, कला, बुद्धि, गायन-वादन की अधिष्ठात्री माना जाता है। इसलिए इस दिन विद्यार्थी, लेखक और कलाकार देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। विद्यार्थी अपनी किताबें, लेखक अपनी कलम और कलाकार अपने संगीत उपकरण और बाकी चीजें मां सरस्वती के सामने रखकर पूजा करते हैं।