श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती: प्रधानमंत्री मोदी उनके सम्मान में करेंगे स्मारक टिकट और सिक्का जारी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज श्रील प्रभुपाद जी की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। वे महान आध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद जी के सम्मान में एक स्मारक टिकट और एक सिक्का भी जारी करेंगे। प्रभुपाद स्वामी एक अलौकिक कृष्णभक्त तो थे, साथ ही वे एक महान भारत भक्त भी थे। उन्होंने देश के स्वतन्त्रता संग्राम में संघर्ष किया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज श्रील प्रभुपाद जी की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। वे महान आध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद जी के सम्मान में एक स्मारक टिकट और एक सिक्का भी जारी करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार पीएम मोदी गुरुवार (8 फरवरी) को दोपहर लगभग 12:30 बजे भारत मंडपम में श्रील प्रभुपाद जी की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री आध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद जी के सम्मान में एक स्मारक टिकट और एक सिक्का भी जारी करेंगे।
श्रील प्रभुपाद स्वामी
प्रभुपाद स्वामी एक अलौकिक कृष्णभक्त तो थे, साथ ही वे एक महान भारत भक्त भी थे। उन्होंने देश के स्वतन्त्रता संग्राम में संघर्ष किया था। श्रील प्रभुपाद ने विश्व को भक्तियोग को देने की ज़िम्मेदारी निभाई, साथ ही इस्कॉन ने इस महान कार्य का बीड़ा उठाया। उल्लेखनीय है कि प्रभुपाद स्वामी ने भक्ति वेदान्त को दुनिया की चेतना से जोड़ने का काम किया। आज दुनिया के विभिन्न देशों में सैकड़ों इस्कॉन मंदिर हैं। यह मंदिर कई गुरुकुल भारतीय संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। सही मायने में देखा जाये तो इस्कॉन ने विश्व को बताया कि भारत के लिए आस्था का मतलब- उमंग, उत्साह, उल्लास और मानवता पर विश्वास है। कच्छ के भूकंप, उत्तराखंड हादसे, ओडिशा और बंगाल में आए चक्रवात तथा कोरोना महामारी के दौरान इस्कॉन द्वारा किए गए सेवा कार्य सराहनीय हैं।
हरे कृष्ण आंदोलन
ज्ञात हो कि आचार्य श्रील प्रभुपाद ने 1918 में गौड़ीय मिशन की स्थापना की थी। जिन्होंने वैष्णव आस्था के मूलभूत सिद्धांतों के संरक्षण और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने हरिनाम कीर्तन से मानव कल्याण का रास्ता जन जन तक पहुंचाया। हरे कृष्णा आंदोलन आचार्य श्रील प्रभुपाद की ही देन है। गौड़ीय मिशन ने श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं और वैष्णव धर्म की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को दुनिया भर में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बता दें कि उन्होंने हरे कृष्ण आंदोलन को गौड़ीय आस्था का केंद्र बना दिया है। यह मिशन चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं और वैष्णव धर्म की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को दुनिया भर में फैला रहा है।
योग, भारतीय जीवन शैली, संगीत और संस्कृति को जानने के लिए कई देशों में अत्यधिक है रुचि
श्रील प्रभुपाद जी और उनके अनुयायियों के अथक प्रयासों से ही वर्तमान में रूस, अर्जेंटीना, घाना जैसे देशों के हजारों मूल निवासियों को साड़ी एवं धोती में घूमते हुए, संस्कृत मंत्रों का जाप करते हुए, श्रीमद भगवद गीता और अन्य पुराणों का अध्ययन करते हुए, मृदंगा एवं खोल जैसे वाद्ययंत्रों को बजाते हुए देखा जा सकता है। श्रील प्रभुपाद जी के अथक प्रयासों से योग, भारतीय जीवन शैली, संगीत और संस्कृति के बारे में जानने के लिए दुनिया के कई देशों में अत्यधिक रुचि है। यही कारण है कि हर साल हजारों अंतरराष्ट्रीय पर्यटक और भक्त वृंदावन, पुरी, मायापुर जैसे पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं और इस तरह से इस क्षेत्र के विकास में बहुमूल्य योगदान करते हैं