भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप में निवेश बढ़कर 124.7 मिलियन डॉलर हो गया है: डॉ. जितेंद्र सिंह
भारत में स्पेस स्टार्ट-अप की संख्या 2014 में केवल 1 से बढ़कर 2023 में 189 हो गई है। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप में निवेश बढ़कर 124.7 मिलियन डॉलर हो गया है। केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह बात कही।
भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 की घोषणा की है, जो अंतरिक्ष गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में गैर-सरकारी संस्थाओं (NGEs) की शुरू से अंत तक भागीदारी को सक्षम बनाती है। उन्होंने बताया कि कुछ एनजीई ने अपने स्वयं के उपग्रह (satellites) लॉन्च किए। कई अन्य अंतरिक्ष उद्योग और स्टार्ट-अप भी अपने स्वयं के उपग्रह और तारामंडल का निर्माण कर रहे हैं। ये उपग्रह कृषि, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी आदि में अनुप्रयोगों में योगदान देंगे। वन एनजीई ने अपना उप-कक्षीय प्रक्षेपण यान लॉन्च किया।
पहली बार इसरो परिसर में एक निजी लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र
उन्होंने बताया कि एनजीई ने पहली बार इसरो परिसर के भीतर एक निजी लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र स्थापित किया। उस एनजीई द्वारा उप-कक्षीय प्रक्षेपण जल्द ही निर्धारित है। निजी कंपनियाँ उपग्रह-आधारित संचार समाधान तलाश रही हैं। निजी हितधारक अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोगों और सेवाओं में तेजी से भाग ले रहे हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र में उपग्रह एकीकरण और परीक्षण सुविधाएं शुरू हो रही हैं।
सैटेलाइट सबसिस्टम और ग्राउंड सिस्टम की मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट सेक्टर द्वारा
केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री ने जानकारी दी कि सैटेलाइट सबसिस्टम और ग्राउंड सिस्टम का लोकल मैन्युफैक्चरिंग निजी क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है।
भारतीय निजी अंतरिक्ष कंपनियाँ तेजी से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष संगठनों और कंपनियों के साथ सहयोग और पार्टनरशिप में प्रवेश कर रही हैं। अब प्राइवेट सेक्टर उपग्रह निर्माण, प्रक्षेपण यान निर्माण, उपग्रह सेवाएं प्रदान करने और ग्राउंड सिस्टम के निर्माण में स्वतंत्र रूप से एंड-टू-एंड समाधान अपनाएगा।