प्रमुख खबरें

तेलंगाना में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय बनने का रास्ता साफ,केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक राज्यसभा में पास

तेलंगाना में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय बनने का रास्ता साफ,केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक राज्यसभा में पास
  • PublishedDecember 14, 2023

राज्यसभा ने बीते बुधवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक को पारित कर दिया। इससे तेलंगाना में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय का बनने का रास्ता साफ हो गया है। 7 दिसंबर को इस विधेयक को लोकसभा से पास कर दिया गया था। केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय का उद्देश्य मुख्य रूप से जनजातीय समाज के लिए उच्च शिक्षा और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करना है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह विश्वविद्यालय भविष्य में क्षेत्रीय आकांक्षाओं,कला,संस्कृति, रीति-रिवाजों और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों जैसे विषयों सहित आदिवासी समाज के बीच अनुसंधान को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा।

889.07 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगा यह विश्वविद्यालय

उन्होंने बताया कि यह विश्वविद्यालय विभिन्न राज्यों में रह रहे आदिवासी समाज के विकास के लिए अग्रदूत साबित होगा। केंद्रीय विश्वविद्यालय को 889.07 करोड़ की रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। इस विश्वविद्यालय में पांच स्कूलों सहित 11 विभाग होंगे जिसके तहत स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर के पाठ्यक्रम शामिल होंगे। इस जनजातीय विश्वविद्यालय के शुरुआती सात वर्षों के लिए कुल 2790 यूजी और पीजी छात्रों का नामांकन तय किया गया है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से विभागीय व गैर विभागीय पदों के रूप में प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान होगा। इसके अलावा यह आउटसोर्सिंग/संविदा आधार पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। इसके परिणामस्वरूप कई अप्रत्यक्ष रोजगार का अवसर भी प्राप्त होगा, जो आसपास के क्षेत्रों के विकास में सहायक साबित होगा।

सम्मक्का सरक्का होगा जनजातीय विश्वविद्यालय का नाम

विश्वविद्यालय का नाम सम्मक्का और सरलाम्मा नामक माँ और बेटी (जिसे आमतौर पर सरक्का के नाम से जाना जाता है) के नाम पर “सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय” रखा गया है, इन्हें तेलंगाना में आदिवासी समुदायों की रक्षा के लिए भेजी गई आदिपराशक्ति का प्रतीक माना जाता है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत एससी/एसटी/ओबीसी/ईडब्ल्यूएस के अधिकारों को सुनिश्चित किया गया है।

बाल वाटिका पहल

उन्होंने बाल वाटिका पहल के बारे में बताया जिसमें जादुई पिटारा जैसी गतिविधियां शामिल हैं, जो 3-5 साल के बच्चों के लिए सीखने के तौर तरीकों को विकसित करने में मदद करेगा। उन्होंने जानकारी दी कि स्कूलों में कौशल आधारित शिक्षा और प्रशिक्षण शुरू किया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने नई शिक्षा नीति की अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ईरान ने अपने यहां शिक्षा नीति लागू करने के लिए एनईपी 2020 का फारसी अनुवाद कराया है,इसके साथ ही मॉरीशस ने अपने देश में एनसीईआरटी के समान एक संस्थान विकसित करने के लिए भारत से सहयोग मांगा है।