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मणिपुर के सबसे पुराने हथियारबंद समूह के साथ शांति समझौता, गृह मंत्री ने कहा- शांति के एक नए युग की शुरुआत

मणिपुर के सबसे पुराने हथियारबंद समूह के साथ शांति समझौता, गृह मंत्री ने कहा- शांति के एक नए युग की शुरुआत
  • PublishedNovember 30, 2023

मणिपुर के सबसे पुराने घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

प्रकृति की गोद में बसे पूर्वोत्तर के राज्यों में सुख-शांति के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में इस बार यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने नई दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मणिपुर के सबसे पुराने घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ ने हिंसा छोड़ कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति जताई है।

विकास को बढ़ावा देने के लिए अब तक कई समझौते
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार के अथक प्रयासों को मिली सफलता में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होंने कहा, “मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।” केन्द्रीय गृह मंत्री ने आगे कहा कि उग्रवाद समाप्त करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए 2014 से पूर्वोत्तर के कई सशस्त्र समूहों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

मणिपुर में एक नए युग की शुरूआत

दरअसल, यूएनएलएफ का गठन 1964 में हुआ था और यह भारतीय क्षेत्र के भीतर और बाहर दोनों जगह काम कर रहा है। मणिपुर के सबसे पुराने घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यूएनएलएफ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) जैसे अन्य घाटी-आधारित प्रतिबंधित संगठनों के समान एक संप्रभु मणिपुर के लिए गुरिल्ला युद्ध लड़ रहा था। यह समझौता पूरे पूर्वोत्तर, विशेषकर मणिपुर में शांति के एक नए युग की शुरूआत को बढ़ावा देने वाला है।

शांति और सामान्य स्थिति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
भारत सरकार की संघर्ष समाधान पहल के हिस्से के रूप में उत्तरपूर्व के कई जातीय सशस्त्र समूहों के साथ राजनीतिक समझौतों को अंतिम रूप दिया गया है, ये पहली बार है जब घाटी स्थित मणिपुरी हथियारबंद समूह हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने और भारत के संविधान और देश के कानून का सम्मान करने पर सहमत हुआ है। यह समझौता न केवल UNLF और सुरक्षा बलों के बीच विरोध को समाप्त करेगा, जिसने पिछली आधी शताब्दी से अधिक समय से दोनों पक्षों की ओर से बहुमूल्य जिंदगियां ली हैं, बल्कि समुदाय की दीर्घकालिक चिंताओं को दूर करने का अवसर भी प्रदान करेगा। मुख्यधारा में UNLF की वापसी से घाटी स्थित अन्य सशस्त्र समूह भी आने वाले समय में शांति प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे। सहमत जमीनी नियमों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक शांति निगरानी समिति (PMC) का गठन किया जाएगा। यह समझौता राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।