दिल्ली-NCR की हवा में फिर घुला जहर, प्रदूषण के कारण सांस के मरीजों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी
अस्पतालों में प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र और आंख से संबंधित मरीजों की संख्या में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है।
दिल्ली-एनसीआर में दीपावली के बाद एक बाद फिर वायु प्रदूषण के लेवल गंभीर लेवल पर पहुंच गया है। हवा और ज्यादा खराब होने से एक बार फिर सांसों पर संकट मंडराने लगा है। एनसीआर के प्रमुख शहरों में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार सुबह समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर 450 पर आ गया।
दिल्ली में 31 जगहों पर ध्वनि प्रदूषण का आकल
सांसों में मंडराते संकट के बीच दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने दीपावली पर दिल्ली में 31 जगहों पर ध्वनि प्रदूषण का आकलन किया। इनमें सात साइलेंस जोन, आठ आवासीय क्षेत्र, 11 व्यापारिक और पांच औद्योगिक क्षेत्र शामिल रहे। इस दौरान नजफगढ़ में सबसे कम और करोल बाग में सबसे ज्यादा स्तर दर्ज किया गया। नजफगढ़ में सबसे कम ध्वनि प्रदूषण 53.7 डेसीबल और करोल बाग में सबसे अधिक 84.5 रहा।
विशेष ओपीडी की शुरुआत
प्रदूषण का स्तर गंभीर से नाक, कान और गले (ईएनटी) से संबंधित शिकायतें बढ़ने लगी हैं। अस्पतालों में प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र और आंख से संबंधित मरीजों की संख्या में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में मरीजों के लिए विशेष ओपीडी की शुरुआत होने जा रही है।
ओपीडी सोमवार दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक
आरएमएल अस्पताल के निदेशक डॉ अजय शुक्ला ने बताया कि प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के लिए एक विशेष ओपीडी की शुरुआत की जा रही है। इस विशेष ओपीडी में सांस से संबंधित मरीजों को डॉक्टरी सलाह और उनकी व्यापक देखभाल दी जा सकेगी। उन्होंने बताया कि इस विशेष ओपीडी में एक बहु-विभागीय क्लिनिक भी शामिल होगा, जिसमें पांच विभाग शामिल होंगे। इसमें ईएनटी, त्वचा, श्वसन तंत्र, नेत्र और मनोरोग विभाग को शामिल किया गया है। यह ओपीडी सोमवार दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगी।