देवी-देवताओं का महाकुंभ कुल्लू दशहरा महोत्सव 24 से 30 अक्टूबर तक होगा आयोजित
भारत देश में दशहरा काफी धूमधाम से अगल-अलग तरह से मनाया जाता है। हिमाचल का कुल्लू शहर का दशहरा बहुत ही खास और अद्भुत होता है। यहाँ दशहरे का समापन होने के बाद दशहरा शुरु होता है। यहां दशहरे में रावण का दहन नहीं होता है। कुल्लू में दशहरा एक रंगारंग आयोजन होता है जो अश्विन मास की दशमी तिथि से शुरू होकर अगले 7 दिन तक चलता है। सात दिनों तक चलने वाले वाला कुल्लू का दशहरा हिमाचल की धार्मिक और संस्कृति की आस्था का प्रतीक है।
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव 24 से 30 अक्टूबर तक हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में आयोजित किया जाएगा।
देवी-देवताओं का महाकुंभ होता है कुल्लू का दशहरा
हिमाचल प्रदेश के लगभग हर गांव का अलग देवता होता है। यहां के लोगों का मानना है कि बर्फीली ठंड और सीमित संसाधनों के बावजूद वे इन पहाड़ों पर देवताओं की असीम कृपा से ही सुरक्षित रह पाते हैं।
सात दिनों तक चलने वाला कल्लू का दशहरा हिमाचल की धार्मिक और संस्कृति की आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि यहां के दशहरे के आयोजन को देखने खुद देवी देवता देवलोक से पृथ्वी पर आते हैं। स्थानीय लोग यहां ढोल नगाड़ों की धुन पर नाचते हुए उनके रथों को खींचते हैं और मस्ती में झूमते गाते चलते है । जिसके नज़ारे को पूरी दुनिया देखती है। इनमें 300 से भी अधिक देवी-देवताओं को सजी हुई पालकियों पर बैठाकर शामिल किया जाता है।
क्या है कुल्लू के दशहरे का इतिहास ?
माना जाता है कि कुल्लू के दशहरे की शुरुआज 16वीं शताब्दी से हुई थी और सबसे पहले 1660 में दशहरा मनाया गया था । यह भी माना जाता है कि कुल्लू के राजा जगत सिंह को भयंकर बीमारी हो गई थी। ऐसे में एक बाबा पयहारी ने उन्हें बताया कि अयोध्या के त्रेतानाथ मंदिर से भगवान रघुनाथ की मूर्ति लाकर उसके चरणामृत से ही इलाज होगा। बहुत मुश्किलों के बाद रघुनाथ जी की मूर्ति को कुल्लू में स्थापित किया गया और राजा जगत सिंह ने यहां के सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया।
उस उत्सव में 365 देवी-देवताओं ने भाग लिया था। तभी से भगवान रघुनाथजी को सबसे बड़ा देवता मान लिया और देव मिलन का प्रतीक दशहरा उत्सव आरंभ हुआ। यह उत्सव तब से हर साल मनाया जाता है। आज यह अंतर्राष्ट्रीय उत्सव के रूप में तब्दील हो चुका है।
इस साल के उत्सव में 19 देशों के कलाकर हिस्सा लेंगे
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष पीएम मोदी ने कुल्लू के दशहरे में भाग लिया था। यह पहली बार था जब किसी पीएम ने कुल्लू के दशहरे उत्सव में भाग लिया हो ।
इस साल, इस आयोजन में विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों के साथ-साथ रूस, इस्राइल, रोमानिया, कजाकिस्तान, क्रोएशिया, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड, पनामा, ईरान, मालदीव, मलेशिया, कीनिया, दक्षिण सूडान, जाम्बिया, घाना और इथियोपिया सहित 19 देशों के कलाकर हिस्सा ले रहे है ।