पीएम मोदी के साथ सऊदी क्राउन प्रिंस की बैठक आज, दोनों मुल्कों के रिश्तों को मिल रही मजबूती
पीएम मोदी के साथ सऊदी क्राउन प्रिंस की बैठक के बाद भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक के मिनट्स पर हस्ताक्षर होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (सोमवार) 11 सितंबर 2023 को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल-सऊद के साथ बैठक करेंगे। क्राउन प्रिंस नौ सितंबर से भारत की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं। G20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत पहुंचे थे। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन रविवार को समाप्त हो गया। वह आज से भारत के राजकीय दौरे पर हैं।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत
बताना चाहेंगे पीएम मोदी के साथ बैठक से पहले सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का आज सोमवार को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भी इस मौके पर उपस्थित रहे।
पीएम मोदी के साथ बैठक के बाद मिनट्स पर होंगे हस्ताक्षर
पीएम मोदी के साथ सऊदी क्राउन प्रिंस की बैठक के बाद भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक के मिनट्स पर हस्ताक्षर होंगे। इसके पश्चात सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री आज शाम राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात करेंगे।
पीएम मोदी के साथ सऊदी क्राउन प्रिंस की होने वाली बैठक के अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद की जा रही है। इससे दोनों देशों के रिश्तों पर खासा असर पड़ सकता है। ऐसा नहीं है कि भारत और सऊदी अरब के बीच अभी रिश्ता कायम हुआ है। दोनों देशों के दरमियान सदियों पुराने संबंध रहे हैं। हालांकि दोनों देशों के रिश्तों में अधिक गर्माहट बीते कुछ वर्षों में बढ़ी है। आइए जानते हैं कैसे…
भारत-सऊदी अरब आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध
भारत और सऊदी अरब के बीच सदियों पुराने आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। आर्थिक संबंध द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी का एक प्रमुख पहलू भी है। दिल्ली घोषणा (2006 में एचएम किंग अब्दुल्ला की भारत यात्रा के मौके पर हस्ताक्षरित) और रियाद घोषणा (2010 में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित) ने दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा दिया। रियाद घोषणा ने दोनों पक्षों को पूरकता और परस्पर निर्भरता पर आधारित रणनीतिक साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध किया।वहीं हाल के वर्षों में पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच जो नजदीकी बढ़ी है, उसका असर भी दुनिया के कई बड़े मंचों पर दिखाई देने लगा है।
2016 और 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक यात्राएं और फरवरी, 2019 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत की राजकीय यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की है। इसकी परिणति यह रही कि दोनों देशों के बीच एक रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की स्थापना में हुई। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने ऊर्जा, सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने, रक्षा उत्पादन, नागरिक उड्डयन, चिकित्सा उत्पाद, रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार, लघु और मध्यम उद्योग, रूपे कार्ड की शुरुआत, सहयोग के क्षेत्र में 11 अन्य समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए। वहीं राजनयिकों का प्रशिक्षण, स्टॉक एक्सचेंजों के बीच सहयोग इत्यादि को लेकर भी नियमित आधार पर दोनों पक्षों की ओर से कई मंत्रिस्तरीय दौरे होते रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों को लगातार मजबूती मिल रही है।
ज्ञात हो, दोनों देशों के बीच स्थापित की गई रणनीतिक साझेदारी परिषद यानी एसपीसी एक समग्र संस्था है जो संयुक्त कार्य आयोग के मौजूदा संस्थागत तंत्रों को आगे बढ़ाते हुए सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों को कवर करती है। एसपीसी के दो स्तंभ हैं:
i) राजनीतिक-सुरक्षा-सामाजिक-सांस्कृतिक (पीएसएससी)
ii) आर्थिक और निवेश
विदेश मंत्री और सऊदी विदेश मंत्री राजनीतिक-सुरक्षा-सामाजिक-सांस्कृतिक (पीएसएससी) स्तंभ की सह-अध्यक्षता करते हैं, जबकि आर्थिक स्तंभ की सह-अध्यक्षता भारत की ओर से वाणिज्य और उद्योग मंत्री और सऊदी की ओर से ऊर्जा मंत्री करते हैं। दोनों स्तंभों के अंतर्गत 8 JWG हैं जो नियमित आधिकारिक स्तर की बैठकें आयोजित करते हैं। आर्थिक और निवेश स्तंभ में निम्नलिखित प्रमुखों को कवर करने वाले 4 जेडब्ल्यूजी शामिल हैं: उद्योग और बुनियादी ढांचा; कृषि और खाद्य सुरक्षा; आईटी और प्रौद्योगिकी; और ऊर्जा।
दोनों देशों के बीच व्यापार
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात के बाद सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। भारत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का लगभग 18% और अपनी एलपीजी आवश्यकता का ~22% सऊदी अरब से आयात करता है। वित्त वर्ष 2021-22 में दोनों देशों के बीच 42.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। वहीं इसी अवधि के दौरान, सऊदी अरब से भारत का आयात 34.01 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच था जबकि सऊदी अरब को कुल 8.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ था।
मध्य-पूर्व में सऊदी अरब एक बड़ी ताकत
खासकर इस्लामिक देशों पर विशेष प्रभाव के लिए मध्य-पूर्व में सऊदी अरब को एक बड़ी ताकत के रूप में जाना जाता है। जानकारों का कहना यह भी है कि पीएम मोदी ने सऊदी अरब से नजदीकी बढ़ाकर पाकिस्तान को किनारा करने की भी काफी हद तक कोशिश की है, जिसका असर भी साफ देखने को मिल रहा है।
भारत के लिए अच्छा निवेशक
2019 में भारत यात्रा के बाद क्राउन प्रिंस का यह दूसरा दौरा है। जानकारों के मुताबिक, इस द्विपक्षीय वार्ता से कई समीकरण बदलने वाले हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब के पास बहुत पैसा है, जिसे वह निवेश करना चाहता है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वक्त में सऊदी अरब भारत के लिए एक बड़ा निवेशक बन सकता है। वहीं सऊदी अरब को यह उम्मीद है कि भारत उसके लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है, जहां से भविष्य में अच्छा रिटर्न मिल सकता है।