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भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मेट्रो नेटवर्क प्रणाली बनने की ओर अग्रसर: केन्द्रीय मंत्री

भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मेट्रो नेटवर्क प्रणाली बनने की ओर अग्रसर: केन्द्रीय मंत्री
  • PublishedSeptember 1, 2023

भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मेट्रो नेटवर्क प्रणाली बनने जा रही है। इसके निर्माण के लिए सरकार द्वारा अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं तथा योजनाओं में होने वाले निवेश में भी अभूतपूर्व वृद्धि की गई है। इस संबंध में आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि शहरी क्षेत्र में निवेश बढ़कर 18,07,101 करोड़ रुपये (2014 के बाद) हो चुका है, जो कि 1,78,053 करोड़ रुपये (2004-2014) था।

‘ट्रांसफॉर्मिंग अर्बन लैंडस्केप’ का हुआ विमोचन

‘ट्रांसफॉर्मिंग अर्बन लैंडस्केप’ शीर्षक की एक अपडेटिड ई-पुस्तिका (2014-2023) के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले नौ वर्षों में शहरी क्षेत्र में बदलाव लाने के अवसर का सदुपयोग किया है। मंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन (यू) के अंतर्गत हुई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस मिशन ने 67.10 लाख घरेलू शौचालयों और 6.52 लाख सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय के निर्माण के साथ शौचालयों तक अपनी शतप्रतिशत पहुंच बनाई है।

113 लाख से ज्यादा घरों का हुआ निर्माण

इस मिशन के माध्यम से अपशिष्ट प्रसंस्करण में चार गुना बढ़ोतरी हुई है और यह 2014 में 18 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 75.20 प्रतिशत हो चुकी है। एसबीएम-यू के अंतर्गत किए गए प्रयासों के कारण नगरपालिका द्वारा ठोस कचरे का पृथक्करण और डोर-टू-डोर संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पीएमएवाई-यू के अंतर्गत उपलब्धियों की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अब तक, इस योजना ने 1.19 करोड़ घरों को मंजूरी प्रदान कर मील का पत्थर प्राप्त किया है। 113 लाख से ज्यादा घरों का निर्माण किया गया है, जिनमें से 76.34 लाख का निर्माण पूरा हो चुका है और उसे लाभार्थियों में वितरित कर दिया गया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह मिशन महिला के नाम पर या संयुक्त नाम पर घरों को शीर्षक प्रदान करके महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।

पीएमएवाई-यू के अंतर्गत 94 लाख से ज्यादा घर महिलाओं या संयुक्त स्वामित्व के नाम पर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पीएमएवाई-यू के अंतर्गत परियोजनाओं/घरों के निर्माण के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर रही है। ग्लोबल चैलेंज प्रक्रिया के माध्यम से 54 नई प्रौद्योगिकियों की पहचान की गई है और इनका उपयोग विभिन्न लाइट हाउस परियोजनाओं के निर्माण में किया जा रहा है।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री ने शहरी परिवहन को मजबूत करने की दिशा में की गई विभिन्न पहलों के परिणामों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज 20 विभिन्न शहरों अर्थात् दिल्ली और सात एनसीआर शहरों, बैंगलोर, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई, जयपुर, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद, नागपुर, कानपुर और पुणे में लगभग 872 किलोमीटर मेट्रो लाइनें परिचालित हो रही हैं जिनकी औसत दैनिक सवारियां 85 लाख हैं।

10 हज़ार ई-बसें अब बस संचालन को देंगी रफ़्तार

पूरे देश के विभिन्न शहरों जैसे दिल्ली, बंगलौर, कोलकाता, चेन्नई, कोच्चि, मुंबई, नागपुर, अहमदाबाद, गांधीनगर, पुणे, कानपुर, आगरा, भोपाल, इंदौर, पटना, सूरत और मेरठ में लगभग 988 किमी की मेट्रो रेल परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिसमें दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस भी शामिल है। उन्होंने कहा कि देश विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मेट्रो नेटवर्क प्रणाली बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने ‘पीएम-ई-बस सेवा’ का भी उल्लेख किया, जिसे हाल ही में मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया है, यह पीपीपी मॉडल पर आधारित और 10,000 ई-बसों के माध्यम से सिटी बस संचालन को बढ़ाने वाली योजना है।