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उपराष्ट्रपति का प्रगति मैदान, दिल्ली में हर घर तिरंगा बाइक रैली को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर संबोधन का मूल पाठ (अंश)

उपराष्ट्रपति का प्रगति मैदान, दिल्ली में हर घर तिरंगा बाइक रैली को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर संबोधन का मूल पाठ (अंश)
  • PublishedAugust 11, 2023

उपस्थित महानुभावों का अभिनंदन!

इस उत्साह को देखकर, इस उमंग को देखकर, मेरे मन में कोई शंका नहीं है, यह भारत की उभरती व्यवस्था का प्रतिबिंब है।

संसद में जो टकराव है, इस प्रकार के कार्यक्रमों से उसमें बदलाव आएगा। यह अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है।

मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं।

It is indeed a great occasion, it is an occasion that will make us feel that the largest democracy on Earth, home to 1/6th of humanity is on the rise as never before. Our rise is unstoppable.

Such an occasion, where Honorable members of Parliament, become party to an event that celebrates our joy, accomplishments, achievements and give respect to our Tiranga is a memorable event.

Friends, 22 July ,2022 के अत्यंत महत्वपूर्ण दिन को यह घोषणा की गई थी, हर घर तिरंगा, इसका प्रभाव व्यापक था, देश के हर कोने में था। Every Indian is proud, to be an Indian. Every Indian rejoice in our historical accomplishments.

On this occasion, I call upon all of you to be proud Indians, keep your Nation always first. Take pride in your historical achievements. The world is stunned in recognition of your historical achievements. ऐसी परिस्थिति में, इतनी बड़ी उपलब्धियां हैं, देश के हर नागरिक के पसीने से वह उपलब्धियां है, उसकी किरकिरी नहीं करनी चाहिए। जहां से कुछ आवाज ऐसी निकलती है, आज का दिन उनके लिए चिंतन का दिन है, सोच का दिन है। मेरे मन में कोई शंका नहीं है कि अमृत काल में, हर भारतीय के मन में एक उमंग है, भारत जब 100 साल पूरे करेगा अपनी आजादी के, भारत@2047, हमारा स्थान विश्व में शीर्ष पर रहेगा। प्रधानमंत्री जी ने हर घर तिरंगा के campaign के बारे में जो मार्मिक और महत्वपूर्ण बात अपने मन की बात में कही, उसने हर भारतीय के दिल को छुआ है, हर भारतीय के दिल को प्रभावित किया है।

In a country of more than 1.3 billion, inspired us, motivated us energize us. यह हमें याद दिलाता है, कि जब इस मुकाम पर हम पहुंचे हैं, तो जिन लोगों ने बलिदान दिया है, जिन लोगों का योगदान रहा है, जिनकी वजह से हम आज इस स्थान पर पहुंचे हैं, उनको याद करने का अभी एक मौका हमारे पास है।
बहुत ज्यादा नहीं कहते हुए भी मैं इतना जरूर कहूंगा, जब पहली बार संसद का सदस्य बना था,1989 में, मैंने कल्पना नहीं की थी, मेरे सपने में नहीं आ सकती थी यह बात, जो आज हकीकत है। जिस प्रकार की प्रगति, जिस प्रकार का विकास, जिस प्रकार का भारत का विश्व में डंका, भारत के नेतृत्व की दुनिया में इज्जत… इसकी कल्पना नहीं की थी।

इसलिए और भी महत्वपूर्ण है कि हमारा तिरंगा सदा लहराता रहे, जो हमारी शान का प्रतीक है।

मैंने Cultural Ministry का एक कार्यक्रम attend किया था, बहुत सोच के साथ, बहुत गहराई के साथ, एक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया था, उस किताब में क्या था? महानुभावों की वह बातें थी, जिसको तत्कालीन सरकार ने छपने नहीं दिया था. What was proscribed during our independence struggle, was put in that coffee table book. इसी संबंध में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, एक प्रतिबंधित कविता का उल्लेख करके मैं अपनी वाणी को विराम दूंगा: