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किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों, निकटतम खरीद केंद्रों, भुगतान की जानकारी और सर्वोत्तम कृषि कार्य प्रणालियों आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से कॉट-ऐलाई मोबाइल ऐप विकसित किया गया

किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों, निकटतम खरीद केंद्रों, भुगतान की जानकारी और सर्वोत्तम कृषि कार्य प्रणालियों आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से कॉट-ऐलाई मोबाइल ऐप विकसित किया गया
  • PublishedAugust 10, 2023

सरकार ने कपास क्षेत्र के विकास के लिए कई उपाय किए हैं और सरकार द्वारा विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। कुछ प्रमुख पहल एवं सुविधाओं की जानकारी यहां पर दी गई हैं:-

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कपास का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से 2014-15 से 15 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों असम, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत कपास विकास कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहा है। किसानों को विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों, उच्च सघन रोपण प्रणाली पर परीक्षणों, पौध संरक्षण रसायनों और जैव एजेंटों के वितरण तथा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रशिक्षणों पर सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना के तहत 2022-23 के दौरान राज्यों को केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 15.11 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
कपास किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा करने और वस्त्र उद्योग को कपास की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 2018-19 से न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों को घोषित करने के लिए उत्पादन लागत का 1.5 गुना (ए2+एफएल) का फॉर्मूला पेश किया हुआ है। कपास सत्र 2022-23 के लिए उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) ग्रेड कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी, जिसे आगामी कपास सत्र 2023-24 के लिए 9 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है।
भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को कपास किसानों की विपरीत परिस्थितियों में बिक्री से बचाने हेतु एमएसपी संचालन के लिए एक केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है। यह उस समय विशेष तौर पर कार्य करती है, जब उचित औसत गुणवत्ता ग्रेड बीज कपास (कपास) की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों से नीचे गिर जाती हैं।
भारतीय कपास का ब्रांड नाम “कस्तूरी कॉटन इंडिया” 7 अक्टूबर 2020 को प्रारंभ किया गया था। 2022-23 से 2024-25 के दौरान 3 वर्षों की अवधि में कपास उद्योग एवं वस्त्र मंत्रालय के संयुक्त योगदान से 30 करोड़ रुपए की संयुक्त निधि के साथ कस्तूरी कॉटन इंडिया की ट्रैसेबिलिटी, प्रमाणन और ब्रांडिंग के लिए भारत सरकार तथा टेक्सप्रोसिल की ओर से सीसीआई के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2023-24 के दौरान एनएफएसएम के तहत 41.87 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ कपास क्षेत्र के लिए एक विशेष परियोजना को स्वीकृति प्रदान की है, जिसका शीर्षक है “कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए प्रौद्योगिकियों को लक्षित करना-कपास उत्पादकता बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का वृहद पैमाने पर प्रदर्शन”। यह परियोजना किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में क्लस्टर-आधारित और मूल्य श्रृंखला दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करते हुए ईएलएस कपास के लिए उच्च घनत्व रोपण प्रणाली (एचडीपीएस), न्यूनतम दूरी व उत्पादन तकनीक जैसी प्रौद्योगिकियों को लक्षित करती है।
वस्त्र मंत्रालय ने 25 मई 2022 को एक अनौपचारिक निकाय के रूप में वस्त्र सलाहकार समूह (टीएजी) का गठन किया था, जो अंतर-मंत्रालयी समन्वय की सुविधा प्रदान करता है और उत्पादकता, कीमतों, ब्रांडिंग आदि के मुद्दों पर विचार-विमर्श व सिफारिश करने के लिए संपूर्ण कपास मूल्य श्रृंखला से हितधारकों का प्रतिनिधित्व करता है।
किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों, निकटतम खरीद केंद्रों, भुगतान की जानकारी, सर्वोत्तम कृषि कार्य प्रणालियों आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से कॉट-ऐलाई मोबाइल ऐप विकसित किया गया।
सरकार, कपास उत्पादन और उपभोग समिति (सीओसीपीसी) नामक एक तंत्र के माध्यम से वस्त्र उद्योग को कपास की उपलब्धता सुनिश्चित करती है। यह समिति देश में कपास की स्थिति पर लगातार नजर रखती है और उसकी समीक्षा करती है तथा कपास के उत्पादन एवं खपत से संबंधित मामलों पर सरकार को उचित सलाह देती है।

वस्त्र मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।