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ट्रांसजेंडर स्टूडेंट और छात्राओं को केंद्र की सौगात

ट्रांसजेंडर स्टूडेंट और छात्राओं को केंद्र की सौगात
  • PublishedAugust 1, 2023

नई शिक्षा नीति-2020 के समग्र शिक्षा 2.0 के अंतर्गत वंचित, असहाय लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए जेंडर इंक्लूजन फंड (जीआईएफ) स्थापित करने का प्रावधान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में इसी तबके के उत्थान के लिए यह प्रावधान किया है। इसके तहत इन दोनों पक्षों को ‘न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा’ मिले इस पर गौर किया जायेगा और किसी भी कारण से ये स्वयं को अभावग्रस्त महसूस न करें इसकी भी पूर्ति की जाएगी। इस कोष के माध्यम से निचले स्तर तक जो भी असमानताएं इन दोनों वर्गों के प्रति देखी जाती है उन्हें दूर किया जाएगा। विशेष रूप से शैक्षणिक आधार पर पिछड़े इलाकों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की स्वीकृति दी गई है।

एक महिला के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित होता है, यह बहुत पुरानी कहावत है। इस कहावत के अनुरूप शैक्षणिक क्षेत्र में आज छात्राओं ने अपना लोहा मनवाया है पर कई क्षेत्र अब भी इससे अछूते हैं। यह तब है जब शिक्षा हर किसी का मौलिक अधिकार है। इसी कड़ी में महिलाओं के अतिरिक्त ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों को भी आज समान शिक्षा के दायरे में लाने के लिए केंद्र सरकार कार्य कर रही है। नई शिक्षा नीति-2020 में जेंडर इंक्लूजन फंड (जीआईएफ) के इस प्रावधान को विशेष रूप से इन्हीं लड़की और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए उल्लेखित किया गया है। इस पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने लोकसभा में सोमवार को लिखित जवाब भी दिया है।

क्या है जेंडर इंक्लूजन फंड ?

दरअसल, नई शिक्षा नीति-2020 के समग्र शिक्षा 2.0 के अंतर्गत वंचित, असहाय लड़कियों और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के लिए जेंडर इंक्लूजन फंड (जीआईएफ) स्थापित करने का प्रावधान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में इसी तबके के उत्थान के लिए यह प्रावधान किया है। इसके तहत इन दोनों पक्षों को ‘न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा’ मिले इस पर गौर किया जायेगा और किसी भी कारण से ये स्वयं को अभावग्रस्त महसूस न करें इसकी भी पूर्ति की जाएगी। इस कोष के माध्यम से निचले स्तर तक जो भी असमानताएं इन दोनों वर्गों के प्रति देखी जाती है उन्हें दूर किया जाएगा। विशेष रूप से शैक्षणिक आधार पर पिछड़े इलाकों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की स्वीकृति दी गई है।

क्या-क्या लाभ मिलेंगे ?

इस जेंडर इंक्लूजन फंड (जीआईएफ) से उन परिवारों का भार पूर्ण रूप से कम होगा जो आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से अपने बच्चों को स्कूली शिक्षा तक नहीं प्रदान कर पाते हैं। इस फंड से घरों के पड़ोस में स्कूल खोलना, आठवीं कक्षा तक लड़कियों के लिए मुफ्त वर्दी और पाठ्य-पुस्तकें, अतिरिक्त शिक्षक और आवासीय क्वार्टर प्रदान करना शामिल हैं। इसके अलावा कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक दिव्यांग लड़कियों को स्कॉलरशिप और स्कूल परिसर में अलग शौचालय मिलेंगे। लड़कियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों के संवेदीकरण कार्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों सहित लिंग-संवेदनशील शिक्षण व् अन्य शिक्षण सामग्री निःशुल्क प्रदान की जाएगी। पड़ोस में ही स्कूल होने से आने-जाने में कोई व्यवधान नहीं होगा। घरों के नजदीक स्कूल होने से वे सुरक्षित वातावरण में बिना किसी झिझक के पढ़ाई कर पाएंगे।

इस पर कितना हुआ काम ?

इस नीति का उद्देश्य ही यह है कि चाहे लड़कियां हों या ट्रांसजेंडर छात्राएं दोनों अपनी पृष्ठभूमि और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान के कारण समाज से कटा हुआ महसूस न करें। उन्हें सरकारी सुख-सुविधाओं का वही लाभ मिले जो अन्य किसी भी वर्ग को मिलता है। इस पर सरकार ने ध्यान केंद्रित करते हुए इस नीति को एनईपी में जोड़ा है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने सोमवार को लोकसभा में लिखित जवाब दाखिल करते हुए बताया कि, ‘इस वर्ष 30 जून तक देश में कुल 5,639 बालिका विद्यालयों को स्वीकृति दी गई है, जिसमें 6 लाख 88 हजार लड़कियों ने पंजीकरण कराया है।’