Free Trade Agreement: भारत और ब्रिटेन के बीच 11वें दौर की बातचीत संपन्न
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बताया कि ब्रिटेन और भारत ने 18 जुलाई को एफटीए के लिए 11वें दौर की बातचीत पूरी कर ली है। इस दौरान 42 से अधिक अलग-अलग सत्रों में नीतियों से जुड़े 9 क्षेत्रों में तकनीकी चर्चाएं की गईं। इसके साथ ही संबंधित नीतिगत क्षेत्रों में समझौते के विस्तृत मसौदे पर चर्चा हुई।
भारत और ब्रिटेन ने प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के लिए 11वें दौर की बातचीत पूरी कर ली है। एफटीए पर दोनों देशों के बीच 12वें दौर की अगली चर्चा वाले महीनों में होगी। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जानकारी दी है। बता दें कि एफटीए होने से द्विपक्षीय वाणिज्य, निवेश, रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
व्यापार के कई क्षेत्रों पर हुई चर्चा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बताया कि ब्रिटेन और भारत ने 18 जुलाई को एफटीए के लिए 11वें दौर की बातचीत पूरी कर ली है। इस दौरान 42 से अधिक अलग-अलग सत्रों में नीतियों से जुड़े 9 क्षेत्रों में तकनीकी चर्चाएं की गईं। इसके साथ ही संबंधित नीतिगत क्षेत्रों में समझौते के विस्तृत मसौदे पर चर्चा हुई।
FTA पर केंद्रीय मंत्री ने किया ब्रिटेन का दौरा
बता दें कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल 11वें दौर की बातचीत के लिए 10-11 जुलाई को ब्रिटेन गए थे। इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन की व्यवसाय और व्यापार मंत्री केमी बडेनोच और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री निगेल हडलस्टन से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री ने बातचीत में आगे बढ़ने के उपायों एवं ब्रिटेन और भारत के लिए व्यापक व्यापार तथा निवेश के अवसरों पर चर्चा की। बैठक के लिए वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने भी इस दौर में ब्रिटेन गए। उन्होंने ब्रिटेन के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और 11वें दौर की बातचीत में हुई प्रगति का जायजा लिया।
2021 में शुरू हुई थी बातचीत
गौरतलब है कि भारत और ब्रिटेन समझौते के तहत बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और उत्पत्ति के नियमों जैसे मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जनवरी 2021 में शुरू हुई थी।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट क्या है ?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के लिए उत्पादों पर सीमा शुल्क, सब्सिडी और कोटा आदि को और आसान बनाया जाता है। इसका एक बड़ा लाभ यह होता है कि जिन दो देशों के बीच में यह समझौता किया जाता है, उनकी उत्पादन लागत बाकी देशों के मुकाबले सस्ती हो जाती है।