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दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुईं बेसहारा बच्चियों को सहारा देगी सरकार, मदद के लिए ‘निर्भया फंड’ में किया विस्तार

दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुईं बेसहारा बच्चियों को सहारा देगी सरकार, मदद के लिए ‘निर्भया फंड’ में किया विस्तार
  • PublishedJuly 5, 2023

इसका उद्देश्य नाबालिग बच्चियों को अदालत की सुनवाई और कानूनी सहायता में लाभ लेने के लिए आश्रय, भोजन और दैनिक जरूरतों के साथ सुरक्षित परिवहन प्रदान करना है जो बलात्कार, सामूहिक बलात्कार के कारण गर्भस्थ हो गईं और जिसके चलते उनके परिजनों और परिवारों ने उन्हें छोड़ दिया।

दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुईं बेसहारा नाबालिग बच्चियों को ‘निर्भया फंड’ से सभी आवश्यक सहायता मिल पाएगी। दरअसल, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने निर्भया फंड से दुष्कर्म से पीड़ित नाबालिग गर्भवती बच्चियों की सहायता के लिए इसे विस्तार दे दिया है।

क्या है योजना का उद्देश्य?

इस योजना का उद्देश्य उन नाबालिग बच्चियों को अदालत की सुनवाई और कानूनी सहायता में लाभ लेने के लिए आश्रय, भोजन और दैनिक जरूरतों के साथ सुरक्षित परिवहन प्रदान करना है जो बलात्कार, सामूहिक बलात्कार के कारण गर्भस्थ हो गईं और जिसके चलते उनके परिजनों और परिवारों ने उन्हें छोड़ दिया।

साल 2021 में पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामले

इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि साल 2021 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने ‘पॉक्सो अधिनियम’ के तहत 51,863 मामलों की सूचना दी। इनमें से 64 प्रतिशत यानि 33,348 मामले धारा 3 (पेनिट्रेटिव यौन हमला) और 5 (गंभीर यौन हमला) के तहत दर्ज किए गए थे।

इस डाटा के आगे विश्लेषण से पता चलता है कि अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत रिपोर्ट किए गए कुल 33,448 मामलों में से 99 प्रतिशत लड़कियों के खिलाफ किए अपराध थे। इनमें से कई मामलों में लड़कियां गर्भवती हो जाती हैं और कई शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना करती हैं।

23 साल की उम्र तक मिलेगी मदद

यह तब और बढ़ जाता है जब उन्हें अपने परिवारों द्वारा छोड़ दिया जाता है। ऐसे में अब निर्भया फंड से नाबालिग लड़कियों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा। यह मदद उन्हें 23 साल की उम्र होने तक दी जा पाएगी।

केयर सेंटर में अलग से की जाएगी व्यवस्था

नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के लिए केयर सेंटर में अलग से व्यवस्था की जाएगी। वहीं बाल गृहों को इस संबंध में निर्देश दिए गए कि वो ऐसी पीड़िता की देखरेख के लिए एक प्रतिनिधि को भी नियुक्त करे।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने देश में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से ‘निर्भया फंड’ नामक एक समर्पित कोष की स्थापना की थी। इसी के तहत वर्तमान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए उन नाबालिग बच्चियों सहारा दिया है जो दुष्कर्म के कारण गर्भवती हो गईं और बेसहारा जीवन जीने को मजबूर हैं।

ज्ञात हो, निर्भया फ्रेमवर्क के तहत गठित अधिकारियों की एक अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) संबंधित मंत्रालयों, विभागों, कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ मिलकर निर्भया फंड के तहत वित्त पोषण के प्रस्तावों का मूल्यांकन और सिफारिश करती है।