नया संसद भवन हर भारतीय को करेगा गौरवान्वित: PM मोदी
संसद के वर्तमान भवन का निर्माण 1927 में पूरा हुआ था, जो अब लगभग 100 वर्ष पुराना होने जा रहा है। इस भवन में वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप स्थान की कमी महसूस की जा रही थी। दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की सुविधाजनक व्यवस्था का भी अभाव था जिससे सदस्यों की कार्यकुशलता प्रभावित हो रही थी। इसी मुद्दों पर विचार करते हुए, लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से संसद के लिए एक नई इमारत बनाने का आग्रह किया। नतीजतन, 10 दिसंबर 2020 को पीएम मोदी द्वारा संसद के नए भवन की आधारशिला रखी गई। अब नया संसद भवन बनकर तैयार है जिसे पीएम मोदी कल यानी 28 मई 2023 को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 26 मई 2023 को कहा कि नया संसद भवन हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा। एक ट्वीट में उन्होंने यह बात कही और एक वीडियो साझा किया, जिसमें नए संसद भवन परिसर की झलक दिखाई गई है। इसी के साथ उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे इस वीडियो को अपने स्वयं के वॉइस-ओवर के साथ साझा करें, जो उनके विचारों को व्यक्त करता है। उन्होंने लोगों से #MyParliamentMyPride का इस्तेमाल करने को कहा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री उनमें से कुछ को रीट्वीट करेंगे।
पीएम मोदी राष्ट्र को समर्पित करेंगे नया संसद भवन
गौरतलब हो, पीएम मोदी रविवार 28 मई 2023 को नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। उल्लेखनीय है कि नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह 28 मई को सुबह हवन और सर्व-धर्म प्रार्थना के साथ शुरू होगा। भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया जाएगा। यह देश की प्रगति का एक गौरवपूर्ण प्रतीक है।
कब बनना शुरू हुआ था नया संसद भवन ?
ज्ञात हो, संसद के वर्तमान भवन का निर्माण 1927 में पूरा हुआ था, जो अब लगभग 100 वर्ष पुराना होने जा रहा है। इस भवन में वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप स्थान की कमी महसूस की जा रही थी। दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की सुविधाजनक व्यवस्था का भी अभाव था जिससे सदस्यों की कार्यकुशलता प्रभावित हो रही थी। इसी मुद्दों पर विचार करते हुए, लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से संसद के लिए एक नई इमारत बनाने का आग्रह किया। नतीजतन, 10 दिसंबर 2020 को पीएम मोदी द्वारा संसद के नए भवन की आधारशिला रखी गई। अब नया संसद भवन बनकर तैयार है जिसे पीएम मोदी कल यानी 28 मई 2023 को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
कैसा दिखता है नया संसद भवन ?
135 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को दर्शाने वाला नया संसद भवन पुराने संसद भवन के नजदीक ही बनाया गया है। इसका आंतरिक भाग देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत उदाहरण पेश करता है। मिर्जापुर के कालीन, त्रिपुरा के बांस, नए संसद भवन को खास बना रहे हैं।
लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण में देश के हर राज्य का योगदान
कुल मिलाकर लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण में देश के हर राज्य का योगदान रहा है। यानी देश के अमृतकाल का संसद भवन आधुनिकता के साथ सांस्कृतिक विरासत के समेटे हुए है। यूपी के मिर्जापुर का कालीन, त्रिपुरा के बांस के फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी संसद की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं।
इसी तरह सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से, लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया है। फाल सीलिंग के लिए स्टील की संरचना दमन और दीव से, जबकि फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया। इमारत पर लगी पत्थर की जाली का काम राजस्थान के राजनगर और यूपी के नोएडा से मंगवाया गया। अशोक चिन्ह के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से प्राप्त की गई है। अशोक चक्र लोकसभा और राज्यसभा कक्षों की दीवारों और संसद भवन के बाहरी हिस्सों को मध्य प्रदेश में इंदौर से खरीदा गया। वहीं पत्थर की नक्काशी का काम आबूरोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया।
नई संसद भवन निर्माण के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा में चरखी दादरी से निर्मित रेत या एम-रेत का उपयोग किया गया है। निर्माण में उपयोग की जाने वाली फ्लाई ऐश ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थी। वहीं पीतल के काम और प्री-कास्ट ट्रेंच गुजरात के अहमदाबाद से लाए गए थे। कुछ इस तरह देश की नई संसद भवन का निर्माण किया गया है।
65 हजार वर्ग मीटर में फैला पूरा परिसर
नया संसद भवन में आधुनिक कार्यालय स्थान नवीनतम तकनीकी प्रगति को शामिल किया गया है, जो सांसदों के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी और उत्पादकता को सक्षम करते हैं। 65 हजार वर्ग मीटर में फैला पूरा परिसर, आधुनिक भारत को परिभाषित करने वाली विविधता और जीवंतता का सम्मान करते हुए क्षेत्रीय कला, शिल्प और सांस्कृतिक रूपांकनों को एकीकृत करता है। इसका त्रिकोणीय आकार इष्टतम स्थान उपयोग सुनिश्चित करता है। नई संसद भवन और वर्तमान संसद भवन एक साथ मिलकर कार्य करेंगे। इससे संसद के सुचारू और कुशल संचालन में सुविधा होगी।
लोकसभा हॉल तीन गुना बड़ा
लोकसभा हॉल, जो तीन गुना विस्तारित हो चुका है, 888 सीटों के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करता है। राष्ट्रीय पक्षी मोर से प्रेरित विस्तृत कलाकृति से सुशोभित, लोकसभा हॉल श्रद्धा और शक्ति की भावना को प्रकट करता है। लोकसभा हॉल के निकट राज्य सभा हॉल है, जिसमें अब 384 सांसदों के बैठने की क्षमता में वृद्धि हुई है। संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा हॉल में अधिकतम 1272 सीटें हो सकती हैं। इसका त्रिकोणीय आकार इष्टतम स्थान उपयोग सुनिश्चित करता है।
उन्नत ऑडियो-विजुअल सिस्टम से लैस
महज इतना ही नहीं नए संसद भवन में समिति के कमरों में उन्नत ऑडियो-विजुअल सिस्टम लगाया गए हैं जो बिना किसी परेशानी के चर्चा और विचार-विमर्श की सुविधा प्रदान करते हैं। इसी तरह, ज्ञान के प्रकाश स्तंभ के रूप में, नए संसद भवन का पुस्तकालय सांसदों और शोधकर्ताओं के लिए सूचना और अभिलेखीय सामग्रियों की पहुंच सुनिश्चित करता है।
अत्याधुनिक संवैधानिक हॉल
वहीं संविधान हॉल की बात करें तो यह प्रतीकात्मक और भौतिक रूप से भारतीय नागरिकों को हमारे लोकतंत्र के केंद्र में रखता है। इसके अलावा अत्यंत आधुनिक कार्यालय स्थल तैयार किए गए हैं। नए संसद भवन में ऐसे कार्यालय तैयार किए गए हैं जो सुरक्षित, कुशल और नवीनतम संचार प्रौद्योगिकी से सुसज्जित होने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
ऊर्जा कुशल
यह नया संसद भवन पर्यावरणीय निरंतरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है और इसे हरित भवनों के लिए प्लेटिनम रेटिंग प्राप्त हुई है। इसके अलावा, नए संसद भवन के मूल में समावेशिता है, क्योंकि यह इसके अनुकूल है, जो सभी के लिए पहुंच सुनिश्चित करता है।
दिव्यांगों के अनुकूल
नया संसद भवन दिव्यांगों के अनुकूल है।यहां अशक्ता के ग्रस्त लोग भी बिना रोक टोक तथा बिना मदद के सैर करने में सक्षम होंगे। वहीं खुले प्रांगण के पूरक के तौर पर इसमें सेंट्रल लाउंज बनाया गया है। यह सदस्यों के आपसी चर्चा करने के लिए एक जगह के लिए अभिप्रेत है। यहां प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष अर्थात बरगद का वृक्ष लगाया गया है।
आधुनिक भारत की जीवंतता और विविधता का प्रतीक
यह भव्य संरचना न केवल प्रगति बल्कि राष्ट्र की विकसित होती भावना का भी प्रतिनिधित्व करती है। अपने मोहक डिजाइन, उन्नत सुविधाओं और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, नया संसद भवन आशा की एक चमक है, जो हमें एक मजबूत, अधिक समावेशी और समृद्ध भारत की दिशा में मार्गदर्शन करता है। नया संसद भवन आधुनिक भारत की जीवंतता और विविधता को परिलक्षित करता है, जिसमें हमारी सांस्कृतिक और क्षेत्रीय कला और शिल्प शामिल है। पीएम मोदी के शब्दों में, इस प्रकार नया संसद भवन हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा।