पावरप्ले में असरदार, डेथ ओवर्स में बेकार… भुवनेश्वर कुमार के लिए क्यों डरावना सपना बन गया 19वां ओवर?
नई दिल्ली: भारत के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने अपना डेब्यू टी20 मैच पाकिस्तान के खिलाफ 25 दिसंबर 2012 को खेला था. तब से लेकर अब तक करीब 10 साल हो गए हैं और भुवनेश्वर अब भी टीम इंडिया के बॉलिंग अटैक का अहम हिस्सा बने हुए हैं. नई गेंद के साथ भुवी आज भी वही जादू करते हैं, लेकिन क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में डेथ ओवर्स (17 और 19वां ओवर) में मेरठ के इस पेसर पर भरोसा नहीं किया जा सकता. क्योंकि एशिया कप में पहले पाकिस्तान फिर श्रीलंका और अब ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए मुकाबले में भुवनेश्वर ने 19वें ओवर ज्यादा रन लुटाने की वजह से टीम इंडिया के हाथ से जीते हुए मैच फिसल गए. ऑस्ट्रेलिया से मिली हार के बाद भुवी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे और मीम्स की बाढ़ आ गई.
भुवनेश्वर कुमार के पास 21 टेस्ट, 121 वनडे और 77 टी-20 इंटरनेशनल का लंबा-चौड़ा अनुभव है. भुवी को लेकर टीम मैनेजमेंट की सोच क्लियर है. उन्हें टेस्ट मैच नहीं, बल्कि शॉर्ट बॉल फॉर्मेट में खिलाया जाता है. वर्ल्ड टी-20 के लिहाज से वह अहम सदस्य हैं. जसप्रीत बुमराह के साथ नई गेंद से शुरुआत करेंगे. विकेट निकालकर देंगे. टी-20 इंटरनेशनल में पावरप्ले के दौरान भुवनेश्वर कुमार 5.66 की शानदार इकॉनमी से बॉलिंग करते हैं, लेकिन जैसे जैसे गेंद पुरानी होती है भुवी की धार भी कुंद पड़ने लगती है. और 5.66 की इकॉनमी रेट डेथ ओवर्स में 9.26 हो जाती है. मतलब डेथ ओवर्स में औसतन हर ओवर 9.26 रन लुटाने लगते हैं.
इस वजह से बन जाते हैं बल्लेबाजों के आसान शिकार
भुवनेश्वर कुमार स्लॉग ओवर्स में ऑफ-साइड वाइड लाइन यॉर्कर पर भरोसा करते हैं, लेकिन एशिया कप में उनकी ये चाल बल्लेबाजों को परेशान करने में बेअसर रही. उनके पास अर्शदीप जैसी थोड़ी ज्यादा स्पीड वाला खिलाड़ी तो था, लेकिन हर्षल पटेल जैसा एक और वेरिएशन वाला गेंदबाज होता तो शायद बल्लेबाजों के लिए वह इतने आसान शिकार नहीं बनते. शॉर्ट बॉल फॉर्मेट में 19वां ओवर 20वें से बेहतर होता है. भुवनेश्वर कुमार ने भारत के लिए ये काम कई बार किया है. कुल 129 गेंदें फेंकी हैं. दूसरे नंबर पर जसप्रीत बुमराह (48 गेंद, 7.87 इकॉनमी, 3 विकेट) और उसके बाद हर्षल (36 गेंद, 8.5 इकॉनमी, 2 विकेट) का नाम आता है.